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RSS ने लेखकों और PAK पर साधा निशाना, कहा- दोनों 'मोदी फोबिया' पैदा कर रहे हैं

आरएसएस ने मुंबई में शिवसेना की ओर से हालिया विरोध की घटनाओं, भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर पाकि‍स्तान की ओर से जताई गई चिंता और लेखकों के सम्मान वापस करने को एक ही खांचे में रखते हुए कहा है कि वे सब ‘मोदी फोबिया’ पैदा करने और अपनी ‘संबद्ध जगहों को सुरक्षित रखने’ के लिए विरोध कर रहे हैं.

ब्रजेश मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2015,
  • अपडेटेड 7:02 PM IST

आरएसएस ने मुंबई में शिवसेना की ओर से हालिया विरोध की घटनाओं, भारत में अल्पसंख्यकों को लेकर पाकि‍स्तान की ओर से जताई गई चिंता और लेखकों के सम्मान वापस करने को एक ही खांचे में रखते हुए कहा है कि वे सब ‘मोदी फोबिया’ पैदा करने और अपनी ‘संबद्ध जगहों को सुरक्षित रखने’ के लिए विरोध कर रहे हैं.

आरएसएस की साप्ताहिक पत्रिका ‘ऑर्गेनाइजर’ ने कहा कि लेखकों और पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे विरोधों के स्वरूप का साझा लक्ष्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ‘फोबिया’ पैदा करना है.

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शिवसेना और पाकिस्तान के कामों का जिक्र
इसके संपादकीय में कहा गया है, ‘हम देश भर में अलग-अलग विरोध देख रहे हैं जिसमें मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार की धार्मिक सहिष्णुता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर उसके पिछले रिकॉर्ड की आलोचना की जा रही है. मुंबई में बीजेपी की राजनीतिक सहयोगी शिवसेना ने पाकिस्तानी नेता कसूरी की किताब जारी होने के खिलाफ विरोध किया. पाकिस्तान ने भारत में ‘बढ़ती असहिष्णुता’ और अल्पसंख्यक अधिकारों के दर्जे को लेकर चिंता जताई है.’

दादरी हिंसा का मुद्दा भी उठाया
अखबार में कहा गया, ‘कुछ प्रख्यात साहित्यकारों ने स्वतंत्रता पर हमला और भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने पर हमले को लेकर गुस्सा जताते हुए अपने पुरस्कार वापस कर दिए हैं. ये विरोध अपने विषयों में भिन्न दिखाई दे सकते हैं लेकिन उनकी मंशा समान है. अपना स्थान सुरक्षित रखने के लिए मोदी फोबिया पैदा किया जाए.’ पत्रिका ने दादरी में गोहत्या के संदेह में इखलाक की पीट-पीटकर हत्या करने के विरोध में पुरस्कार लौटाने की भारतीय लेखकों में चलने वाली बगावत की लहर को निशाने पर लिया है.

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तो ये है शिवसेना के विरोध का मकसद?
आरएसएस प्रकाशन ने इससे भी आगे जाते हुए विरोध करने वाले लेखकों पर ‘वैचारिक असहिष्णुता’ को बढ़ावा देने का आरोप लगाया. उसने कहा कि ऐसे लोग हिन्दुओं के बारे में बात करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर ‘हिन्दुत्वादी ताकतों’ का तमगा लगा देते हैं. इसमें ध्यान दिलाया गया कि कसूरी का शिवसेना की ओर से विरोध किया जाना समझा जा सकता है क्योंकि उसने पूर्व में भी ऐसा ही किया था और यह मुंबई में नगर निगम चुनाव से प्रेरित है. लेकिन यह परेशान करने वाली बात है प्रख्यात साहित्यकार और बुद्धिजीवी भी उसी तरह से प्रयास कर रहे हैं जिस तरह से शिवसेना और पाकिस्तान कर रहे हैं.

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