
अब तक आपने गौ-हत्या, गौ-मांस जैसे मुद्दों के बारे में ही सुना होगा, लेकिन भैंस और जर्सी नस्ल की गायों को लेकर एक संघ प्रचारक ने अजीबोगरीब बयान दिया है. उनका कहना है कि, " देश में अपराध इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि लोग भैंस और जर्सी नस्ल की गायों का दूध पी रहे हैं."
देशभर में गौ सेवा का काम देख रहे संघ के वरिष्ठ प्रचारक शंकर लाल ने कहा कि भैंस और जर्सी के दूध तामसी होता है. इससे पीने से लोगों में क्रोध बढ़ता है और सहनशीलता खत्म होती है, जिस कारण अपराध बढ़ते हैं. यदि लोग देसी गाय के दूध का सेवन करेंगे तो सात्विक होंगे और मन को शांति मिलेगी. यही नहीं, इससे अपराध में कमी आती है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की खबर के मुताबिक, संघ प्रचारक शंकर लाल 31 मार्च को गौ जप महायज्ञ करने जा रहे हैं. इसके जरिये वे गाय से जुड़ी महत्ताओं को भी लोगों तक पहुंचाएंगे. उन्होंने बताया कि गाय के माध्यम से हम 8 बिंदुओं पर काम कर रहे हैं. इसमें अपराध मुक्त भारत भी एक लक्ष्य है. इसके अलावा दूसरा बिंदु प्रदूषण मुक्त भारत है. इसमें गाय सबसे अहम योगदान दे सकती है.
संघ प्रचारक शंकर लाल के मुताबिक, 1 ग्राम गाय के घी का दिया जलाने से सौ किलो ऑक्सीजन तैयार होती है और तुलसी के आगे घी का दिया जलाने से ओजोन बनती है. यदि बीमार व्यक्ति के आगे घी का दिया जलाया जाए तो उसे ऑक्सीजन की कमी नहीं होती.
उन्होंने कहा कि सही मायने में भारतीय गाय (देसी गाय) ही गाय का असली स्वरुप होती है. देसी गाय की चमड़ी पतली और सुंदर होती है. जबकि विदेशी गायों की बात की जाए तो वो मोटी और भद्दी होती है. अगर गलती से गाय विष खा ले तो वह उसके दूध, घी, गोमूत्र और गोबर में नहीं जाता. यही वजह है कि बाइबल, कुरान जैसे ग्रंथों में गौमांस को निषेध है.
उन्होंने बताया कि गाय के जरिये हम रोजगार को भी बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं. एक गाय की यदि सही से देख रेख की जाए तो हर माह 50000 रुपये कमाए जा सकते हैं.
देसी गायों के बारे में हम जगह-जगह ट्रेनिंग दे रहे हैं. साथ ही गाय के दूध, गोमूत्र और गोबर से अलग-अलग उत्पाद बनाना भी सिखा रहे हैं.