Advertisement

रुपये ने की शानदार वापसी, डॉलर के मुकाबले 30 पैसे की मजबूती पर बंद

चालू हफ्ते में डॉलर के खिलाफ लगातार खराब प्रदर्शन कर रहे रुपये के लिए शुक्रवार बड़ी राहत भरा रहा. फॉरेक्स मार्केट में सुबह रुपये ने 11 पैसे की मजबूती के साथ 64.12 से कारोबार की शुरुआत की.

Symbolic Image Symbolic Image
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 मई 2015,
  • अपडेटेड 8:22 PM IST

चालू हफ्ते में डॉलर के खिलाफ लगातार खराब प्रदर्शन कर रहे रुपये के लिए शुक्रवार बड़ी राहत भरा रहा. फॉरेक्स मार्केट में सुबह रुपये ने 11 पैसे की मजबूती के साथ 64.12 से कारोबार की शुरुआत की.

अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती दिनभर फॉरेक्स मार्केट पर कायम रही. दिन का कारोबार बंद होने पर डॉलर के मुकाबले रुपया 30 पैसे की मजबूता के साथ बंद हुआ.

Advertisement

इससे पहले गुरुवार को रुपया पिछले 20 महीने के निचले स्तर का गोता खाते हुए 64.23 पर बंद हुआ था. रुपये का यह स्तर साल 2014 की सितंबर को देखने को मिला था. 

कैसे रुपया हुआ थोड़ा मजबूत...
मौजूदा हफ्ते में शेयर बाजार ने गुरुवार तक लगभग 891 अंकों की गिरावट दर्ज की थी. वहीं शुक्रवार को शॉर्ट कवरिंग के बल पर चढ़े शेयर बाजार ने पलटी मारी और सेंसेक्स 506 अंक उछलकर बंद हुआ. शेयर बाजार पर इस प्रदर्शन का सीधा असर रुपये पर पड़ा और फॉरेक्स मार्केट पर रुपये ने भी डॉलर के मुकाबले मजबूती बना ली. इसके अलावा ग्लोबल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भी यह साफ कर दिया है कि भारत में मैट पर उपजे विवाद का कोई असर भारत की सॉवरेन रेटिंग पर नहीं पड़ेगा. मूडीज के इस बयान ने भी रुपये को मार्केट में नई ऊर्जा दी. हालांकि अमेरिका का नॉन-फार्म पेरोल आंकड़े आने वाले हैं और विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा बेहतर होने की स्थिति में एक बार फिर डॉलर अन्य मुद्राओं के मुकाबले तेज हो जाएगा और रुपये पर भी इसका दबाल देखने को मिल सकता है.

Advertisement

क्यों जरूरी है रुपये का मजबूत होना

1. देश की सॉवरेन रेटिंग पर पड़ सकता है विपरीत असर
बीते एक साल में मूडीज, फिच और एसएंडपी जैसी ग्‍लोबल रेटिंग एजेंसियां कह चुकी हैं कि आने वाले दिनों में भारत के आर्थिक आंकड़ों और आर्थिक सुधारों का असर दिखाई देने पर रेटिंग में बदलाव किया जा सकता है. ऐसे में अगर रुपये में गिरावट रहती है, तो इसका विपरीत असर सॉवरेन रेटिंग पर देखने को मिल सकता है. 2013 में जब रुपये का संकट आया था, तब ज्यादातर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों ने भारत की रेटिंग घटा दी थी. फिलहाल जून में रेटिंग बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रही है. लिहाजा आज की शानदार रिकवरी से रुपये ने इस खतरे को टालने में सफल हुआ.

2. रुपये में गिरावट से पड़ सकती है महंगाई की मार
डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट से आने वाले दिनों मे खाने-पीने की वस्‍तुओं सहित कई चीजे महंगी हो सकती हैं. भारत अपनी जरूरत का करीब 80 फीसदी पेट्रोलियम पदार्थ और खाद्य तेल आयात करता है. रुपये में गिरावट से इनका आयात महंगा हो जाएगा. इसके चलते घरेलू बाजार में इनकी कीमतें बढ़ सकती हैं और महंगाई में उछाल आ सकता है.

3. महंगाई के खतरे से नहीं घटेंगी ब्याज दरें
डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट यूं ही जारी रही तो देश के लिए कच्‍चे तेल का आयात महंगा हो जाएगा. इसके चलते तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा कर सकती है. घरेलू बाजार में डीजल की कीमत बढ़ने से माल ढुलाई लागत बढ़ जाएगी और वस्‍तुओं की कीमतें बढ़ने लगेंगी. इन सब के बीच यदि महंगाई बढ़ती है तो आरबीआई के पास ब्‍याज दरों में कटौती को टालने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा. वहीं आने वाले दिनों में जहां बैंक ग्राहक घर और गाड़ी खरीदने के लिए लोन में रियायत की आस लगाए बैठे हैं, उन्हें बस मायूसी हाथ लगेगी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement