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नोटबंदी के 50 दिन: कतार में लगी रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था

देश की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. देश में कुल रोजगार का 70 फीसदी रोजगार गांवों में है. देश की जीडीपी का 50 फीसदी हिस्सा एग्रीकल्चर सेक्टर से आता है. इससे जाहिर है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 8 नवंबर को आया नोटबंदी का फैसले सबसे बड़ा असर रूरल इंडिया पर डाल चुका है.

नोटबंदी के 50 दिनों में कतार में ही लगी रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था नोटबंदी के 50 दिनों में कतार में ही लगी रही ग्रामीण अर्थव्यवस्था
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 28 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 7:36 PM IST

देश की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. देश में कुल रोजगार का 70 फीसदी रोजगार गांवों में है. देश की जीडीपी का 50 फीसदी हिस्सा एग्रीकल्चर सेक्टर से आता है. इससे जाहिर है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 8 नवंबर को आया नोटबंदी का फैसले सबसे बड़ा असर रूरल इंडिया पर डाल चुका है.

1. जब देश में नोटबंदी का फैसला आया तो देश के किसानों के सामने रबी फसल की बुआई की बड़ी चुनौती थी. उत्तर भारत में पंजाब और हरियाणा के कई क्षेत्रों में रबी बुआई हो चुकी थी लिहाजा उन्हें नोटबंदी से इस आशय नुकसान नहीं उठाना पड़ा.

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2. रबी फसल की बुआई कर चुके किसानों के सामने नोटबंदी ने सबसे बड़ी चुनौती भविष्य की खरीदारी को लेकर सामने आई. इन किसानों के पास खरीफ फसल का पैसा आ चुका था और यह वक्त उनके वार्षिक खरीदारी जैसे टैक्टर, पंप, खाद इत्यादी का था. लेकिन नोटबंदी लागू होने के बाद इन किसानों को पहले नोट बदली कराने की चुनौती आ गई.

3. जिन राज्यों में रबी बुआई देर से होती है वहां किसानों के सामने सबसे बड़ी चुनौती बुआई के लिए बीज खरीदने की थी. सरकार की तरफ से तमाम अश्वासन के बावजूद ज्यादातर किसानों को पुराने पड़े बीज से बुआई करनी पड़ी. खाद की खरीद कैश से होने के कारण उन्हें बाजार सुधरने का इंतजार करना पड़ा जिससे उनकी रबी बुआई में देरी हुई.

4. नोटबंदी लागू होने का समय देश में उन किसानों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बना जो सब्जी और फल की खेती पर आश्रित रहते हैं. देशभर में नागपुर, नासिक और दिल्ली मंडी पूरी तरह से कैश पर आश्रित रहने के कारण पूरी तरह से ठप्प पड़ गई. किसानों के सामने सब्जी और फल को सस्ते दरों पर निकालने की मजबूरी बन गई. वहीं इसके लिए भी उन्हें चेक अथवा उधार का सहारा लेना पड़ा.

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5. कैश की किल्लत के चलते देशभर में फल और सब्जियों की कीमत बुरी तरह प्रभावित हुई. टमाटर, आलू, मिर्च और प्याज की बड़ी खेप इस दौरान खेतों से निकलकर बाजार पहुंचती है. लेकिन मंडियों में कैश की किल्लत ने इन उत्पादों के लिए किसानों को बहुत कम आय का साधन बना दिया.

6. ग्रामीण इलाकों में रोजगार के लिए केन्द्रीय स्कीम मनरेगा बुरी तरह प्रभावित हुई है. देश के लगभग एक दर्जन राज्यों ने केन्द्र सरकार से गुहार लगाई है कि वह तत्काल प्रभाव से राज्यों को कैश उपलब्ध कराए क्योंकि नोटबंदी लागू होने के बाद से सरकार लेबर का पेमेंट नहीं कर पा रही है.

7. ग्राणीण अर्थव्यवस्था में एक बड़ा असर रिवर्स माइग्रेशन का दिखाई दिया. शहरों में रियल एस्टेट सेक्टर और इंडस्ट्री में लेबर पेमेंट में दिक्कतों के चलते लोग गांव का रुख करने पर मजबूर हो गए. नोटबंदी लागू होने के बाद से गांव पलायन कर चुके लेबर को देश में एक बार फिर कैश की किल्लत खत्म होने का इंतजार है.

8. नोटबंदी के दौर में सबसे बड़ी समस्या ग्रामीण इलाकों में पुराने नोट जमा कराने और नया कैश निकालने में देखा गया. देश की कुल जनसंख्या का लगभग 70 फीसदी गांवों में रहता है लेकिन उन्हें महज 45 फीसदी कुल एटीएम का एक्सेस है. वहीं एटीएम से विड्रॉवल करने के लिए उन्हें 5 से 25 किलोमीटर तक की यात्रा करनी पड़ती थी. इसके बावजूद 9 नवंबर के बाद ग्रामीण इलाकों में एटीएम और बैंक तक पैसा पहुंचाने में सबसे ज्यादा समय लगा.

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9. नोटबंदी से पहले भी देश में कालेधन को छिपाने के लिए ग्रामीण इलाकों में खेती की जमीन के खरीद-फरोख्त का मायाजाल चलता था. नोटबंदी लागू होने के बाद एक बार फिर ग्रामीण इलाकों में जनधन खातों का गलत इस्तेमाल करते हुए कालेधन को छिपाने की भरपूर कोशिश की गई.

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