
आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिशों में जुटे भारत को बड़ी कामयाबी मिली है. इस साल नवंबर में इस्लामाबाद में होने वाला 19वां सार्क सम्मेलन स्थगित हो गया है. सार्क के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल की मीडिया ने यह खबर दी है. वहीं, पाकिस्तान में सूत्रों ने बताया कि सम्मेलन रद्द कर दिया गया है.
उरी में हुए आतंकी हमले से गुस्साए भारत ने सार्क सम्मेलन में शिरकत नहीं करने का फैसला किया. भारत की इस पहल का पड़ोसी बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी समर्थन किया और सम्मेलन का बहिष्कार करने का फैसला किया. 'काठमांडू पोस्ट' ने खबर दी है कि सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने से भारत के इंकार के बाद मौजूदा परिस्थितियों के मद्देनजर सार्क सम्मेलन स्थगित कर दिया गया है.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि आज की तारीख में जैसा माहौल बना है, वैसे में हम पाकिस्तान नहीं जा सकते. हालांकि सार्क सम्मेलन होना है कि नहीं, इसका आधिकारिक ऐलान नेपाल को ही करना है.
पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ इस वक्त हाई लेवल मीटिंग कर रहे हैं. मीटिंग में आर्मी चीफ राहिल शरीफ, पीएम के सलाहकार सरताज अजीज और एनएसए नासिर जंजुआ भी हिस्सा ले रहे हैं.
नेपाल है सार्क का अध्यक्ष
आठ सदस्यीय सार्क का मौजूदा अध्यक्ष नेपाल ही है और इस लिहाज से नेपाली मीडिया की इस खबर की अहमियत भी है. भारत ने अपने फैसले से नेपाल को अवगत करा दिया है कि पीएम नरेंद्र मोदी नवंबर में प्रस्तावित सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने इस्लामाबाद नहीं जाएंगे. नियमों के मुताबिक सम्मेलन में सभी सदस्य देशों की मौजूदगी जरूरी है. अगर एक भी सदस्य सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेता है तो इसे स्थगित करना पड़ता है या रद्द करना पड़ता है. साल 1985 में बने इस गुट में भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका और अफगानिस्तान शामिल हैं.
पहली बार भारत ने किया है बायकॉट
1985 के बाद ये पहला मौका होगा जब भारत ने सार्क सम्मेलन का बायकॉट करने का फैसला लिया है. भारत के अलावा सार्क के अन्य तीन सदस्य देशों ने भी पाकिस्तान पर आंतक को पनाह देने का आरोप लगाते हुए सम्मेलन का बहिष्कार करने का ऐलान किया है. वहीं, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.
भारत में सियासत तेज
सार्क सम्मेलन में भारत की भागीदारी को लेकर देश में सियासत भी तेज हो गई है. आतंकवाद के मोर्चे पर मोदी सरकार के नाकाम रहने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस ने सार्क सम्मेलन का बहिष्कार नहीं करने की नसीहत दी है. कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि उरी हमले के बाद पाकिस्तान को विश्व समुदाय में अलग-थलग किया जाना चाहिए लेकिन सार्क सम्मेलन रद्द नहीं किया जाना चाहिए.
कांग्रेस प्रवक्ता की नसीहत पर बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, 'जब सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेते हैं तो कांग्रेस पूछती है कि क्यों जा रहे हैं? जब बहिष्कार करते हैं तो कहती है कि क्यों बहिष्कार कर रहे हैं? यह कन्फ्यूजन पॉलिसी के साथ नहीं, कांग्रेस के ही भीतर है.'
उरी हमले के बाद भारत का सख्त कदम
आपको बता दें कि 18 सितंबर को जम्मू-कश्मीर के उरी में आर्मी कैंप पर हुए आतंकी हमले में 18 जवान शहीद हो गए थे. इस हमले में पाकिस्तान की धरती से आए आतंकियों के सबूत मिले हैं. हालांकि पाकिस्तान इससे इनकार कर रहा है. लेकिन भारत इस बार पाकिस्तान को विश्व समुदाय में अलग-थलग करने की कोशिश में जुटा है. पिछले दिनों सुषमा स्वराज ने यूएन महासभा में अपने भाषण के दौरान पाकिस्तान को आतंकवाद के मसले पर जमकर खरी खोटी सुनाई थी. भारत पाकिस्तान के साथ सिंधु नदी समझौता रद्द करने और मोस्ट फेवर्ड का दर्जा वापस लेने पर भी विचार कर रहा है.