
कहते हैं भगवान का द्वार हर किसी के लिए खुला होता है लेकिन सबरीमाला में भगवान अय्यप्पा के मंदिर में 10 से 55 साल उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक है. इस रोक के बावजूद मुख्य पुरोहित की 11 साल की बेटी मंदिर में प्रवेश कर गई तो मंदिर का शुद्धिकरण कराया जाएगा इतना ही नहीं इसका पूरा खर्चा पुरोहित ही उठाएंगे.
मंदिर के अधिकारियों ने 11 साल की बच्ची के मंदिर में प्रवेश करने को गंभीरता से लेते हुए ये निर्णय लिया. त्रावणकोर देवास्वम बोर्ड की बैठक में यह विचार सामने आया कि लड़की का मंदिर में जाना परंपरा का उल्लंघन है. बोर्ड ने इस घटना के सिलसिले में मंदिर के कार्यकारी अधिकारी को भी उनके पद से हटा दिया.
बोर्ड ने महसूस किया कि इस घटना से परिहार क्रिया और शुद्धि क्रिया आवश्यक हो गई है. बोर्ड ने मुख्य पुरोहित को हटाने जैसे अतिवादी कदम से परहेज किया हालांकि बैठक में ऐसी मांग उठी थी. बैठक की अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष एम पी गोविंदन नैयर ने की.
सबरीमाला विशेष आयुक्त ने इस सप्ताह की शुरुआत में हाई कोर्ट में सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि लड़की 17 अप्रैल को सन्निधणम तक पहुंची थी और प्रार्थना की थी.