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कौन हैं सबरीना सिंह जो अमेरिकी उपराष्ट्रपति उम्मीदवार कमला हैरिस की प्रेस सेक्रेटरी बनीं

सबरीना सिंह के दादा सरदार जगजीत सिंह ने उस वक्त अमेरिका में बदलावों में योगदान दिया जब उथल-पुथल का दौर था. इंडिया लीग ऑफ अमेरिका के सजीले और 6 फीट लंबे इस सिख ने आव्रजन के अधिकार को लेकर संघर्ष किया.

सबरीना सिंह (फोटो:Twitter/sabrinasingh24) सबरीना सिंह (फोटो:Twitter/sabrinasingh24)
गीता मोहन
  • नई दिल्ली,
  • 18 अगस्त 2020,
  • अपडेटेड 7:48 PM IST

  • उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस की प्रेस सचिव
  • दो डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों की प्रवक्ता रह चुकी हैं सबरीना

सीनेटर और डेमोक्रेटिक पार्टी से उपराष्ट्रपति पद की उम्मीदवार कमला हैरिस ने सोमवार को भारतीय-अमेरिकी सबरीना सिंह को अपने कैम्पेन के लिए प्रेस सेक्रेटरी नियुक्त किया.

अगर आगे चल कर हैरिस अफ्रीकी-भारतीय मूल की पहली महिला के तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनती हैं तो सबरीना सिंह ऐसी पहली भारतीय-अमेरिकी प्रेस सेक्रेटरी हो सकती हैं जो किसी अहम राजनीतिक दल की ओर से उपराष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार बनें. यंग एचीवर 33 साल की सबरीना पहले राष्ट्रपति पद के लिए दो डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों की प्रवक्ता रह चुकी हैं. उन्होंने न्यू जर्सी के सीनेटर कोरी बुकर और न्यू यॉर्क के मेयर माइक ब्लूमबर्ग, दो डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों के लिए प्रेस शॉप्स को हेड भी किया.

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कमला हैरिस के लिए आधिकारिक तौर पर प्रेस सेक्रेटरी बनने के बाद सबरीना ने ट्वीट में लिखा, “मैं @KamalaHarris के लिए प्रेस सचिव के रूप में #BidenHarris टिकट में शामिल होने को लेकर बहुत उत्साहित हूं! काम करने के लिए इंतजार नहीं कर सकती और नवंबर में जीतने के लिए!"

कौन हैं सबरीना सिंह?

अमेरिका में रहने वाले कई भारतीय-अमेरिकियों की तरह, सबरीना सिंह की जड़ें भी भारतीय संस्कृति और अपने परिवार से गहराई से जुड़ी हैं. उन्हें पारिवारिक विरासत के हिस्से के रूप में समानता और उदारवाद के मुद्दों पर मजबूती और सक्रियता मिली है.

सबरीना सिंह के दादा सरदार जगजीत सिंह ने उस वक्त अमेरिका में बदलावों में योगदान दिया जब उथल-पुथल का दौर था. इंडिया लीग ऑफ अमेरिका के सजीले और 6 फीट लंबे इस सिख ने आव्रजन के अधिकार को लेकर संघर्ष किया. लंबे, कठिन और देशव्यापी इस मुहिम का ही नतीजा था कि 2 जुलाई, 1946 को तत्कालीन राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने Luce-Cellar एक्ट पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद 100 भारतीयों का कोटा हर साल अमेरिका में आव्रजन के लिए लागू हो गया.

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सबरीना ने इस साल 1 मई को ट्वीट में लिखा- "आज #AAPIHeritageMonth की शुरुआत है और इसलिए मैं अमेरिका में AAPI मनाने के लिए इस (छोटे) थ्रेड को लेना चाहूंगी. साथ ही उन लोगों को याद करूंगी जिन्होंने स्वतंत्रता और अवसरों को संभव बनाया.” AAPI एशियन अमेरिकन्स एंड पैसिफिक आईलैंडर्स के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

सबरीना ने एक और ट्वीट में लिखा “मेरे दादा जे जे सिंह की तरह, जो इंडिया लीग ऑफ के प्रमुख थे. 1940 के दशक में उन्होंने और अन्य नस्लीय भेदभावपूर्ण नीतियों के खिलाफ मुहिम चलाई और भारतीयों के लिए नागरिकता हासिल करने की लड़ाई लड़ी.” सबरीना ने अपने दादा की वो ऐतिहासिक तस्वीर भी ट्वीट की, जिसमें राष्ट्रपति ट्रूमैन की ओर से एक्ट पर हस्ताक्षर करते वक्त वो साथ खड़े दिख रहे हैं.

सबरीना ने ट्वीट में लिखा "इस दबाव ने राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन को 2 जुलाई, 1946 को Luce-Cellar एक्ट पर हस्ताक्षर करने के लिए प्रेरित किया, जिसने अमेरिका में रहने वाले करीब 3,000 भारतीयों को अमेरिकी नागरिकता प्रदान की. (ट्रूमैन के दाएं से दूसरे)." सबरीना अपने माता-पिता का जिक्र भी गर्मजोशी से करती हैं, जिनका वो अपने जिंदगी के फैसले लेने पर खासा असर मानती हैं.

सबरीना सिंह के पिता मनजीत सिंह का 1956 में न्यू यॉर्क में जन्म हुआ. लेकिन वो जब महज पांच साल के थे, तो परिवार ने आजाद भारत में न्यू दिल्ली में बसने का फैसला किया. मनजीत और उनके भाई मन मोहन दिल्ली में ही पले बढ़े. जे जे सिंह का निधन 1976 में हुआ, अस्सी के दशक के शुरू में मनजीत सिंह ने पत्नी स्रिला सिंह के साथ अमेरिका में बसने का फैसला किया. उस वक्त वे सोनी इंडिया के सीईओ और चेयरमैन थे.

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इंडिया अब्रोड को इस साल फरवरी में दिए एक इंटरव्यू में सबरीना सिंह ने कहा कि जब मेरे दादा का निधन हुआ, मेरे पिता किशोर उम्र के थे. मैं अपने दादा के बारे में ज्यादा नहीं जानती लेकिन मेरे माता-पिता अक्सर उनका जिक्र करते थे. दादा के बारे में सबरीना कहती हैं- "लेकिन, मुझे वास्तव में कॉलेज आने तक इस बारे में नहीं पता था कि वह अमेरिका में क्या करते थे, फिर मैंने उनके अहम प्रभाव को समझना शुरू किया, फिर खुद को गौरवान्वित अनुभव होने लगा, ये मेरे लिए प्रेरित करने वाला था. तब से मैंने सरकार में दिलचस्पी लेना शुरू किया. मैं हमेशा कुछ अच्छा करना और परिवर्तन लाना चाहती थी. मैं बराक ओबामा के चुनाव से प्रेरित होकर वाशिंगटन आई. ग्रेजुएट होने के बाद मैं उस दिशा के लिए बढ़ी, जहां आज हूं.”

सबरीना सिंह ने मई में अपने दादा और उनके माता-पिता के समर्थन और प्रेरणा पर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा था, “और मेरे अविश्वसनीय माता-पिता, जो 1980 के दशक में नई दिल्ली से लॉस एंजिल्स आए और मुझे सिखाया कि उसके लिए हमेशा लड़ो, जिसमें विश्वास करते हो.”

सबरीना के मुताबिक उनके माता-पिता ने हमेशा असीमित समर्थन और प्यार दिया, और हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. सबरीना सिंह, सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की छात्रा रही हैं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मेजर किया. उन्होंने डेमोक्रेटिक कांग्रेस कैंपेन कमेटी (DCCC) में अपने करियर की शुरुआत प्रेस असिस्टेंट के तौर पर की जो कैम्पेन के लिए सबसे शुरुआती स्तर का जुड़ाव था.

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DCCC के बाद, सबरीना एक वर्ष तक Rep Jan Schakowsky (D.-Ill,) के लिए कम्युनिकेशन्स डायरेक्टर बनीं. इसके बाद उन्होंने डेमोक्रेटिक गवर्नर्स एसोसिएशन डिप्टी कम्युनिकेशन्स डायरेक्टर बनने की ओर रुख किया. सबरीना सिंह ने पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार रहने के दौरान फ्लोरिडा, उत्तरी कैरोलिना, नेवाडा और कोलोराडो के लिए रीजनल कम्युनिकेशंस डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया.

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