
नेटफ्लिक्स पर जारी हुई सीरीज सैक्रेड गेम्स पर केंद्र सरकार की नजरें टेढ़ी हो गई हैं. इसकी वजह यह है कि इसमें धूम्रपान के दृश्यों को बिना चेतावनी के दिखाया गया है.
कांग्रेस भी इस सीरीज के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची है. कांग्रेस का कहना है कि इससे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को बदनाम किया जा रहा है. कांग्रेस नेता की ओर से की गई शिकायत में कहा गया है कि इस सीरीज में बोफोर्स केस, शाह बानो केस, बाबरी मस्जिद केस और सांप्रदायिक दंगों पर गलतबयानी की गई है. इस मामले की अगली सुनवाई आगामी सोमवार को होनी है.
वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के संकेत के बाद ऐसी वेब सीरीज को एंटी-टॉबैको लॉ के तहत लाने पर विचार कर रही है. आमतौर पर टीवी पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों और सिनेमा हॉल में फिल्मों में धूम्रपान के दृश्यों के आने पर स्वास्थ्य संबंधी चेतावनी जारी की जाती है.
फिलहाल भारत में वेब सीरीज को रेग्युलेट करने का प्रावधान नहीं है और टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों वाले कानून इन पर लागू नहीं होते हैं. सैक्रेड गेम्स के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय धूम्रपान के दृश्यों को रेग्युलेट करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के तंबाकू पर नियंत्रण के प्रावधानों (WHO FCTC) का इस्तेमाल कर सकता है. इसके जरिए अंतरराष्ट्रीय या सीमा पार की कंपनियों के तंबाकू प्रचार को भी रेग्युलेट किया जा सकता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि फिलहाल वेब सीरीज का तंबाकू के इस्तेमाल पर वैधानिक चेतावनी जारी करना जरूरी नहीं है. नेटफ्लिक्स और ऐमेजॉन प्राइम दोनों अमेरिकी कंपनियां हैं, इसलिए इन्हें सिगरेट और दूसरे तंबाकू पदार्थों से संबंधित भारतीय गाइडलाइन फॉलो करने को नहीं कहा जा सकता है. यही परेशानी अंतरराष्ट्रीय कार रैलियों के प्रसारण के दौरान कारों से स्टिकर्स से तंबाकू पदार्थों के प्रचार के दौरान भी देखने को मिलती है.
इसके अलावा सैक्रेड गेम्स के आने के बाद से यह बहस भी शुरू हो गई है कि क्या भारत में ओवर द टॉप सर्विस (OTT) को भी रेग्युलेट करना चाहिए. टीवी कार्यक्रमों और टीवी चैनलों के खिलाफ शिकायत करने के लिए तो भारत में संस्थाएं हैं, लेकिन वेब सीरीज के लिए ऐसा इंतजाम नहीं है.