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सफाईगीरी: बेजवाड़ा बोले- गटर की सफाई के लिए वैज्ञानिकों का समूह क्यों नहीं बनाते PM?

इंडिया टुडे सफाईगीरी अवॉर्ड और समिट में सफाई कर्मचारी आंदोलन के संस्थापक बेजवाड़ा विल्सन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछा कि क्या पीएम ऐसे वैज्ञानिकों का समूह नहीं बना सकते जो कोई टेक्नोलॉजी बनाए, जिससे मैला ढोना बंद हो जाए.

इंडिया टुडे सफाईगीरी क्लीनेस्ट विलेज का अवॉर्ड हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नौनी गांव को मिला. इंडिया टुडे सफाईगीरी क्लीनेस्ट विलेज का अवॉर्ड हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नौनी गांव को मिला.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 02 अक्टूबर 2019,
  • अपडेटेड 2:11 PM IST

  • मैला ढोना बंद किए बिना स्वच्छ भारत पूरा नहीं होगा
  • गटर में रोबोट भेजो लेकिन इंसानों का जाना बंद हो

सफाई कर्मचारी आंदोलन के संस्थापक और मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता बेजवाड़ा विल्सन ने कहा कि आज देश चांद पर उतर रहा है. वैज्ञानिक बड़ी-बड़ी मिसाइल बना रहे हैं. लेकिन देश में आज भी 1.60 लाख लोग हाथ से मैला ढोने का काम करते हैं. जब तक ये लोग यह गंदा काम करते रहेंगे, तब तक स्वच्छ भारत अभियान पूरा नहीं होगा. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या वे ऐसे वैज्ञानिकों का समूह नहीं बना सकते जो कोई बेहतरीन टेक्नोलॉजी बनाए, जिससे हाथ से मैला ढोना बंद हो जाए.

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बेजवाड़ा विल्सन ने कहा कि हाथ से मैला ढोने के खिलाफ 1993 में कानून आया. फिर 2013 में कानून आया. लेकिन इतने सालों के बाद भी एक को भी सजा नहीं हुई. सजा तभी होगी जब कड़ाई से कानून का पालन हो. स्वच्छ भारत का सपना तब तक पूरा नहीं होगा, जब तक हाथ से मैला उठाने की परंपरा खत्म नहीं होती. हर साल गटर में उतरकर सफाई के दौरान लोग मारे जाते हैं. मेरे पास आंकड़े हैं कि पिछले कुछ सालों में 1800 से ज्यादा लोग सेप्टिक टैंक की सफाई करते हुए या गटर में सफाई करते हुए मारे गए हैं.

टॉयलेट की सफाई सिर्फ एक ही जाति के लोग क्यों करें?

बेजवाड़ा विल्सन ने कहा कि आज तक किसी भी राज्य या केंद्र की सरकार ने ऐसा काम नहीं किया कि जिससे लोगों की जान बचाई जा सके. टॉयलेट की सफाई सिर्फ एक ही जाति के लोग क्यों करेंगे? क्यों एक ही जाति या दलित समुदाय के लोग पीढ़ियों से यही काम करते आ रहे हैं? उन्हें इस काम में कितना दर्द होता है. मुझे पता है. कोई इंसान क्यों गटर के अंदर घुसे. कोई नई टेक्नोलॉजी बनानी चाहिए जिससे गटर की सफाई हो सके. लोगों को उसमें घुसना न पड़े. इस टेक्नोलॉजी को सभी राज्य कड़ाई से लागू करें.

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हर मौत के 24 घंटे में हम पीएम तक को मेमोरेंडम भेजते हैं

बेजवाड़ा विल्सन ने कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर ने कहा था कि झाड़ू छोड़ो, कलम पकड़ो. सफाई करने वाले समुदाय इसके लिए तैयार हैं. लेकिन उसके लिए सरकार कोई व्यवस्था तो करे. नीति आयोग के पास रिपोर्ट है कि देश में आज भी 54 हजार लोग मैला ढोने का काम करते हैं या गटर की सफाई में लगे हैं. हम किसी को भी सेफ्टी केयर के साथ गटर में नहीं भेज सकते. मशीनों से सफाई ही इसका इलाज है. रोबोट भेजो लेकिन इंसान नहीं.

इस दौरान Cleanest Village अवार्ड हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के नौनी गांव के प्रधान बलदेव सिंह ठाकुर को दिया गया. बलदेव सिंह ने कहा कि 2006 में मेरा गांव (नौनी) ओडीएफ बन गया था. इसके बाद 2017 राष्ट्रपति की ओर से पुरस्कार मिला था. बलदेव सिंह ने कहा कि मैं राजपूत समाज से हूं, लेकिन मैं अपने गांव का सार्वजनिक शौचालय खुद साफ करता हूं.

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