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साहित्य आजतक के मंच पर बोलीं कली पुरी- दर्शकों का विश्वास हमारी कामयाबी

साहित्य आजतक, 2017 की शुरुआत इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी के वेलकम स्पीच से हुई. 

इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी
महेन्द्र गुप्ता
  • नई द‍िल्ली ,
  • 10 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 3:59 PM IST

साहित्य आजतक- 2017 की शुरुआत इंडिया टुडे ग्रुप की वाइस चेयरपर्सन कली पुरी के वेलकम स्पीच से हुई. उन्होंने कहा, 'आपका साहित्य आजतक में स्वागत है. डबल स्वागत है कि आप इस पॉल्यूशन का सामना करके हमारे प्रोग्राम में आए. साहित्य आजतक एक प्रयास है हिन्दी साहित्य, संगीत और नाटक परंपरा को बढ़ावा देने के लिए. उनको नये जनरेशन तक पहुंचाने के लिए. इस स्मार्ट फोन के जमाने में कबीर के दोहे कहीं हमेशा के लिए गुम न हो जाएं. 

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पिछले साल हमारा प्रोग्राम डिमोनिटाइजेशन के दो दिन बाद था. हम सब शॉक में थे और किसी के पास पैसा भी नहीं था. फिर आप सबने हमारा हौसला बढ़ाया और हमारे पहले साहित्य आजतक में भारी संख्या में आए.

इस साल पॉल्यूशन की मुसीबत. अब मैं क्या कहूं. प्यार और दोस्ती का रिश्ता ही कुछ ऐसा होता है. वो दोस्ती क्या जिसमें दोस्त को तकलीफ न हो और वो प्यार क्या जिसमें सिर्फ फूल हों. हमारा, आजतक और दर्शकों का रिश्ता ऐसा ही है. 

आपने 17 सालों से हमारा साथ निभाया है और हमें नंबर वन बनाए रखा है. इस विश्वास को बनाए रखने में हमने भी कोई कसर नहीं छोड़ी. चाहे ईराक की आग हो या राम रहीम का दंगल या फिर बॉम्बे की बारिश. मार भी खाई, बीमार भी हुए, लेकिन पीछे नहीं हटे. डर भी लगा तो मालूम था आप हमारे साथ खड़े हैं. ये रिश्ता अनोखा है. 

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 अगर मैं शायर होती तो इस प्यारे से रिश्ते पर एक शानदार सा शेर सुना देती. पर अच्छा होगा कि शायर का काम उन्हीं पर छोड़ा जाए. मेरा तो वादा है कि हम सबको सबसे तेज रखने के लिए अपना काम करते रहेंगे. ये रिश्ता ये दोस्ती अमर रहे. 

जय हिन्द, जय हिन्दी 

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