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साहित्य आजतक 2018 के मंच पर जावेद अली का 'जश्न-ए-बहारा', 'अली मौला'

साहित्य आजतक 2018 के सरस्वती वंदना के बाद कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर गायक जावेद अली के सूफी गानों के साथ हुई.

जावेद अली जावेद अली
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 16 नवंबर 2018,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST

दर्शकों के भरपूर प्यार के साथ आज से तीन दिनों तक चलने वाला साहित्य आजतक का मंच फिर सज गया है. सरस्वती वंदना के बाद कार्यक्रम की शुरुआत मशहूर गायक जावेद अली के सूफी गानों के साथ हुई. उनके गानों पर दर्शक झूम उठे.

जावेद अली ने मंच पर आकर दर्शकों की फरमाइश पर पहला गाना "जश्न-ए-बहारा" गाया. इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई मशहूर गाने गाए. साहित्य आजतक के मंच पर जावेद के सूफियाना सुरों का सफर हजरत अली के कलाम ''अली मौला'' से शुरू हुआ.

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इस सूफियाना महफिल में जावेद ने हजरत अमीर खुसरो की शान में दूसरा कलाम "फूल खिले बगियन में'' पढ़ा. जावेद ने साहित्य आजतक के दर्शकों की मांग पर 'अर्जियां सारी मैं चेहरे पर लिख के लाया हूं' सुनाया. गाने से पहले जावेद ने संगीतकार एआर रहमान और गाना लिखने के लिए प्रसून जोशी का एहतेराम जताया.

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सूफियाना गानों की लड़ी में जावेद ने अगला गाना सुपरहिट फिल्म रॉकस्टार का गाना कुनफाया गाया. इसके बाद दर्शकों ने जावेद से रोमांटिक गाने की फरमाइश की, जिस पर जावेद ने कहा कि अभी सूफियाना माहौल बना है, लिहाजा पहले एक मेरे दिल के करीब एक और सूफी गाना सुनिए.

फिर उन्होंने ''तेनु अखियां उड़िकदियां'' सुनाया. इसके बाद उन्होंने अपनी बेहद मकबूल कव्वाली 'ख्वाजा मेरे ख्वाजा' सुनाया.

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'साहित्य आजतक' का यह कार्यक्रम फ्री है, पर इसके लिए रजिस्ट्रेशन कराना आवश्यक है. इसके लिए आप 'आजतक' और हमारी दूसरी सहयोगी वेबसाइट पर दिए गए लिंक पर जाकर या फिर 7836993366 नंबर पर मिस्ड कॉल करना भर होगा, और आपका पंजीकरण हो जाएगा. तो आइए साहित्य के इस महाकुंभ में, हम आपके स्वागत के लिए तैयार हैं.

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