
साहित्य आज तक में जब कथा, किस्सा, कहानियां और रचनाओं के साथ ही साहित्य के सितारों का सुर संधान हो रहा होगा, तब कई सत्र कवि सम्मेलन और मुशायरा के नाम भी होंगे. 'एक नाराज शायर' में डॉ राहत इंदौरी तो 'एक नायाब शायर' में वसीम बरेलवी को सुना जा सकेगा.
डॉ राहत इंदौरी साहब किसी अलहदा परिचय के मुहताज नहीं हैं. देश के जानेमाने मशहूर शायर हैं और दुनिया भर में शोहरत बटोरी है. उनके शेरों में रूहानियत की लुनाई है, तो मोहब्बत का पैगाम भी. वह अपने जर्रे से जुड़े इंकलाबी शायर भी हैं. हाल ही में सोशल मीडिया पर शेयर की गई उनकी यह शायरी से उनके परिचय का अंदाज मिल जाता हैः-
तेरी आंखों की हद से बढ़कर हूं, दश्त मैं आग का समंदर हूं।
कोई तो मेरी बात समझेगा, एक कतरा हूं और समंदर हूं।
इसी तरह ज़ाहिद हसन यानी वसीम बरेलवी साहब को शायरी का शौकीन कोई ऐसा नहीं होगा जो न जानता हो. वसीम बरेलवी साहब के बारे में कुछ भी फरमाना बेहद थोड़ा होगा.
आप उर्दू शायरी और मंच का बेहद जानामाना नाम हैं. आपकी लिखी किताबों में 'आँखों आँखों रहे', 'मौसम अंदर-बाहर के', 'तबस्सुमे-ग़म', 'आंसू मेरे दामन तेरा', 'मिजाज़', 'मेरा क्या' शामिल है. उनका यह शेर नज्र है-
'फ़ैसला लिखा हुआ रखा है पहले से खिलाफ़।
आप क्या खाक अदालत में सफाई देंगे।।'
इन दोनों के अलहदा सत्रों के अलावा ये मुशायरे में भी मंजर भोपाली, आलोक श्रीवास्तव, शीन काफ निजाम, डॉ नवाब देवबंदी, डॉ लियाकत जाफरी और तनवीर गाजी के साथ शिरकत करेंगे.