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आजतक के मंच पर बोले चेतन भगत- मनमोहन सिंह हैं बेस्ट पॉलिटिशियन

चेतन ने कहा कि अब राहुल गांधी के ट्वीट तड़के वाले हो गए हैं. उन्हें समझ आ गया है कि अब जोश दिखाने और बॉडी लैंग्वेज चेंज करने की जरूरत है. चेतन के मुताबिक राहुल गांधी कोशिश कर रहे हैं. शायद कोई अच्छा राइटर रखा होगा. गब्बर सिंह टैक्स वाले बयान से उन्होंने लोगों का ध्यान खींचा है.

साहित्य आजतक में लेखक चेतन भगत साहित्य आजतक में लेखक चेतन भगत
नंदलाल शर्मा
  • नई दिल्ली ,
  • 12 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST

साहित्य आजतक के अहम सत्र 'सपनों का सौदागर' में लेखक चेतन भगत ने शिरकत की. इस सत्र की शुरुआत में चेतन ने कहा कि राहुल गांधी समझ चुके हैं कि उन्हें अपनी बॉडी लैंग्वेज चेंज करने की जरूरत है. कांग्रेस उपाध्यक्ष के ट्वीट्स को चुटीला बताते हुए चेतन ने कहा कि राहुल गांधी ने अच्छा स्क्रिप्ट राइटर रखा होगा.

आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर पूछे सवाल पर चेतन ने कहा कि आज आम आदमी पार्टी दिल्ली की सरकार चला रही है. चेतन ने कहा कि मैंने सोनिया गांधी, नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है और तीनों का असर हुआ है.

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'अन्ना के सभी समर्थक सेट हो चुके हैं'

चेतन ने कहा कि किसी स्टोरी को लिखने के लिए वह किसी मुद्दे को साथ लेकर चलते हैं. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए अच्छी बात है कि वह किसी भी पार्टी के साथ नहीं हैं. चेतन ने अन्ना के समर्थकों पर कहा कि अन्ना के साथ आने वाले आज अलग-अलग जगह सेट हो चुके हैं. चेतन ने कहा कि मेरे लिए देश अहम है और देश के सामने कांग्रेस या बीजेपी मायने नहीं रखती.

राहुल गांधी की स्टाइल में बड़ा सुधार

साहित्य आजतक के मंच से चेतन भगत ने कहा कि राहुल गांधी चटपटी चाट की तरह हैं. चेतन ने कहा कि जब सत्ता हाथ में आती है तो उसके साथ चमचे भी आते हैं और ये चमचे जब आसपास होते हैं तो दिखना बंद हो जाता है.

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चेतन ने कहा कि अब राहुल गांधी के ट्वीट तड़के वाले हो गए हैं. उन्हें समझ आ गया है कि अब जोश दिखाने और बॉडी लैंग्वेज चेंज करने की जरूरत है. चेतन के मुताबिक राहुल गांधी कोशिश कर रहे हैं. शायद कोई अच्छा राइटर रखा होगा. गब्बर सिंह वाले बयान से लोगों का ध्यान तो चला गया, लेकिन सवाल ये है कि आप पूरा खाना बना सकते हो या नहीं, देश चलाना अलग बात है. लोग देखते हैं कि आप देश चला सकते हो या नहीं.

केजरीवाल को राजनीति में मजा आ रहा

अरविंद केजरीवाल से अपने रिश्ते पर चेतन भगत ने कहा कि अभी भी उनके साथ हूं. मैंने उनके साथ खाना खाया है. हम चाहते हैं देश में अच्छा हो. कुछ चीजों में मेरी उनसे सहमति नहीं है. ये अच्छा है कि मैं किसी पॉलिटिकल पार्टी से नहीं जुड़ा. देखिए अन्ना की पूरी टीम कहां चली गई.

भारत में रिलेशनशिप में आ रहे बदलावों पर चेतन भगत ने कहा कि आज बहुत बड़ा फर्क देखने को मिल रहा है. सोशल मीडिया से आपसी रिश्तों में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है.

बैंक की नौकरी छोड़ना बड़ी चुनौती

चेतन ने कहा कि नौकरी छोड़ते वक्त उनके सामने बहुत बड़ी चुनौती थी. परिवार का दबाव था. मेरी सास को भी इससे आपत्त‍ि थी. उनके मुताबिक बैंक की नौकरी में उन्हें डॉलर में मोटी सैलरी मिलती थी, लेकिन फिर भी मन की बात सुनी और आज सैलरी की चिन्ता नहीं है.

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उन्होंने कहा कि अरविंद से मैंने राजनीति का अनुभव सुना. अरविंद को राजनीति अच्छी लग रही थी, लेकिन मुझे राजनीति में की जाने वाली मेहनत करने का मन नहीं था. फिर राजनीति मुझे इसलिए भी रास नहीं आई कि लोग मुझे वैसे ही सुनते हैं. मैं अपनी किताब और अपने विचारों से देश के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा हूं.

आम आदमी पार्टी से राज्यसभा पहुंचने पर चेतन ने कहा कि अरविंद को अपनी पार्टी से किसी को भेजना चाहिए.

'मनमोहन सिंह हैं बेस्ट पॉलिटिशियन'

सेशन के अंत में जब चेतन भगत से भारत के बेस्ट पॉलिटिशियन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने मनमोहन सिंह का नाम लिया. चेतन ने कहा कि वे भले ही चुनावी राजनीति से न आएं हों और राज्यसभा में चुने गए हों, लेकिन उन्होंने 10 साल शासन किया है. और ये उनके बेस्ट पॉलिटिशियन चुने जाने के लिए काफी है.

नहीं चाहिए राज्यसभा और पद्मभूषण

राष्ट्रीय मुद्दों पर लिखने और अपने विचार रखने के पीछे चेतन भगत ने बताया कि उनके मन में एक सपनों का भारत है. इस सबके पीछे उनका कोई निजी स्वार्थ नहीं है. वे न राज्यसभा में जाना चाहते हैं और न उन्हें पद्म भूषण चाहिए. चेतन ने कहा, बहुत से लोग उनसे पूछते हैं कि इस सबके पीछे क्या एजेंडा है?

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चेतन जवाब देते हैं कि इस देश ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. वे अच्छी स्थ‍िति में है. वे अपने विचार इसलिए रखते हैं क्योंकि उन्हें सुना जाता है. वे अपनी सेलेब्रिटी पावर का इस्तेमाल करते हैं. मैं अपने पाठकों को मुद्दा समझाने की कोशिश करता हूं. जैसी जीएसटी. मैंने बताया कि ये देश में हो रहा है और ये जीएसटी है.

लाखों प्रतियां बिकेंगी तो फिल्म तो बनेगी ही

अपने उपन्यास की कहानी लिखते समय उस पर फिल्म बनाने के सवाल पर चेतन भगत बोले, मुझे ऐसा सोचने की जरूरत नहीं पड़ी. यदि किताब की लाखों प्रतियां बिकेंगी तो जाहिर है कि उस पर फिल्म बनेगी ही, लेकिन मैं सिर्फ अपनी कहानी कहता हूं, फिल्म बनना इसके बाद की बात है. यदि मैं फिल्म को देखकर अपने उपन्यास की कहानी लिखता तो मेरे पात्र 40-50 साल के होते, क्योंकि हमारे स्टार तो उसी उम्र के हैं.

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