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शनिवार को 'साहित्य आजतक' के सत्र में 1983 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य और राजनीतिज्ञ कीर्ति आजाद आए. इस दौरान वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई और एंकर श्वेता सिंह ने उनके साथ क्रिकेट में वंशवाद पर चर्चा की. विषय था- क्या राजनीति की तरह क्रिकेट में भी वंशवाद का प्रभाव है?
राजदीप सरदेसाई ने बताया कि जरूरी नहीं कि महान खिलाड़ियों के बेटे भी उतने ही कामयाब साबित हों. उन्होंने सुनील गावस्कर का उदाहरण देते हुए बताया कि वह महान खिलाड़ी हैं, लेकिन उनके बेटे रोहन गावस्कर टीम इंडिया के लिए कुछ मैच ही खेल पाए. रोहन अपने पिता की वजह से नहीं, बल्कि अपने कुछ अच्छे प्रदर्शन के दम पर टीम इंडिया में चुने गए थे. क्रिकेट में बने रहने के लिए आपको रन बनाने की जरूरत है, कोई यह नहीं देखता कि आपके पिता कितने अच्छे खिलाड़ी थे.
कीर्ति आजाद ने कहा, 'अगर आपके अंदर कुछ बड़ा करने की अभिलाषा है और दृढ़ संकल्प है, तो आपको कोई नहीं रोक सकता है.' राजदीप सरदेसाई ने विराट कोहली एमएस धोनी और सचिन तेंदुलकर का उदाहरण देते हुए बताया कि इन तीनों के पिता क्रिकेटर नहीं थे. लेकिन उनके टैलेंट और मेहनत ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया.
राजदीप ने एमएस धोनी का जिक्र करते हुए बताया कि जब उन्होंने धोनी ने पूछा कि रेलवे में टिकट कलेक्ट करते वक्त आप ऐसा सोचते थे कि एक दिन टीम इंडिया को वर्ल्ड कप जितवाएंगे, तो धोनी ने कहा 'मैं उस वक्त सिर्फ इतना ही सोचता था कि कैसे मैं क्लास 1 से क्लास 2 अफसर बन जाऊं.'