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मशहूर शायर मुनव्वर राना को इस साल के साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुना गया है. उनकी किताब 'शहदाबा' के लिए उन्हें उर्दू भाषा का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया जाएगा. वाणी प्रकाशन से छपी इस किताब में उनकी करीब 30 ग़ज़लें, 40 नज़्में और एक गीत है. मुनव्वर बोले, 'खराब खाना और खराब शायरी बर्दाश्त नहीं कर सकता.'
साथ ही, हिंदी के साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए रमेशचंद्र शाह के उपन्यास विनायक को चुना गया है. अंग्रेज़ी में ये पुरस्कार इस वर्ष आदिल जस्सावाला को उनके कविता संग्रह 'ट्राइंग टू से गुडबाय' के लिए दिया जाएगा. ये सम्मान 22 भाषाओं में दिए जाते हैं. मणिपुरी और संस्कृत में पुरस्कार बाद में दिए जाएंगे. समरोह अगले साल 9 मार्च को होगा.
2013 में उर्दू के लिए जावेद अख्तर और हिंदी के लिए मृदुला गर्ग को यह पुरस्कार मिल चुका है. उर्दू अदब में कृष्ण कुमार तूर, खलील मामून, शीन काफ निजाम, गुलजार, बशीर बद्र, निदा फाजली और कैफी आजमी जैसे दिग्गज इस सम्मान की शोभा बढ़ा चुके हैं. उर्दू का पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार 1955 में जफर हुसैन खान को मिला था. मुनव्वर की जिंदगी के रदीफ-काफिये
शहदाबा से कुछ शेर
आंखों को इन्तिज़ार की भट्टी पे रख दिया
मैंने दिए को आंधी की मर्ज़ी पे रख दिया
अहबाब का सुलूक भी कितना अजीब था
नहला धुला के मिट्टी को मिट्टी पे रख दिया
रुख़सत का वक़्त है ,यूं ही चेहरा खिला रहे
मैं टूट जाउंगा जो ज़रा भी उतर गया
सच बोलने में नशा कई बोतलों का था
बस यह हुआ कि मेरा गला भी उतर गया
इस साल के साहित्य अकादमी पुरस्कार