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Review: एक रात में हुए 3 कांडों की कहानी है 'कालाकाण्डी'

सैफ अली खान की फिल्म कालाकांडी एक अलग तरह की फिल्म बताई जा रही है. जानिए फिल्म की समीक्षा.

कालाकांडी पोस्टर कालाकांडी पोस्टर
महेन्द्र गुप्ता
  • नई दिल्ली,
  • 12 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

नाम : कालाकाण्डी

डायरेक्टर: अक्षत वर्मा

स्टार कास्ट: सैफ अली खान, सोभिता धूलिपाला, कुणाल रॉय कपूर ,दीपक डोबरियाल, विजय राज, अक्षय ओबेरॉय

अवधि:1 घंटा 52 मिनट

सर्टिफिकेट: A

रेटिंग: 2.5 स्टार

साल 2011 में आई डेली बेली युवाओं में खासी पसंद की गई थी. ये अलग तरह की फिल्म बनकर सामने आई थी. उस फिल्म के राइटर अक्षत वर्मा थे और अक्षत ने लगभग 7 साल के बाद कालाकाण्डी फिल्म बनाई है, जिसका ट्रेलर बहुत ही अलग तरह का है. अब क्या फिल्म भी दिलचस्प बनी है? आइए की समीक्षा करते हैं.

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कहानी

फिल्म की कहानी मुंबई बेस्ड है, जहां रिलीन (सैफ अली खान) अपने डॉक्टर से मिलता है जो उसे बताता है कि उसे बड़ी गहन बीमारी है, जबकि रिलीन ने कभी भी सिगरेट या शराब नहीं पी. उसी रात रिलीन को अंगद (अक्षय ओबेरॉय ) की शादी में जाना होता है, जहां पहुंचकर वह सिगरेट और नशा करना शुरू कर देता है, क्योंकि उसे लगता है कि बहुत कम दिन उसकी जिंदगी में बचे हैं. दूसरी तरफ एडवांस कपल (कुणाल रॉय कपूर और सोभिता धूलिपाला) अपने दोस्त (शहनाज) के बर्थडे की पार्टी में जाते हैं, जहां अचानक से पुलिस की रेड पड़ती है और कई लोग पकडे जाते हैं. इसी बीच हफ्ता वसूली करने वाले दो दोस्त (दीपक डोबरियाल और विजय राज) भी एक जगह से वसूली करके अपने बॉस को पैसे देने जाते हैं.

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ये तीनों कहानियां एक- दूसरे से कैसे कनेक्ट होती हैं और अन्ततः क्या होता है, ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

 क्यों देख सकते हैं

फिल्म की कहानी एडल्ट है और भाषा काफी रफ है, जो शायद युवाओं को काफी पसंद आए, क्योंकि ये अलग तरह की फिल्म है और फ्लेवर डेली बेली जैसा ही है. अक्षत वर्मा ने डायरेक्शन और लिखावट बिल्कुल कहानी के हिसाब से ही की है और इन तीनों कहानियों को एक समय पर मिलाकर एक पूरी फिल्म बनाना आसान काम नहीं है. दीपक डोबरियाल और विजय राज की बातचीत आपको हंसाती भी है और सरप्राइज भी करती है. सोभिता धूलिपाला, कुणाल रॉय कपूर ने बढ़िया काम किया है. सैफ अली खान इस फिल्म में काफी खुलकर काम करते हुए नजर आते हैं और किरदार में काफी कम्फर्टेबल भी दिखायी देते हैं. कास्टिंग अच्छी है, गाने कुछ ख़ास नहीं है, लेकिन बैकग्राउंड स्कोर बढ़िया है. युवाओं को पसंद आ सकती है.

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कमज़ोर कड़ियां:

फिल्म की कहानी सबको नहीं भाएगी, क्योंकि लॉजिक दूर दूर तक नहीं है. तीनों कहानियों को मिलाने के दौरान थोड़े थोड़े जर्क भी आमने आते हैं, जिन्हें दुरुस्त किया जा सकता था. क्लाइमैक्स और बेहतर हो सकता था.

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बॉक्स ऑफिस :

फिल्म का बजट लगभग 35 करोड़ बताया जा रहा है और यह मुक्काबाज और 1921 के साथ रिलीज हो रही है, साथ ही पहले से टाइगर ज़िंदा है बॉक्स ऑफिस पर चल रही है. देखना दिलचस्प होगा कि यह फिल्म किस तरह से अपनी रिकवरी करेगी.

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