
सैराट की आर्ची याद है आपको...? सैराट की बिंदास आर्ची का असली नाम रिंकू राजगुरू है. सैराट के हिट होने के बाद जब रिंकू ने इंटरव्यू दिए तब जाकर लोगों को पता चला कि उन्होंने अभी ही नौंवी की परीक्षा पास की है. वरना कद-काठी से तो वो अपनी उम्र से कहीं अधिक मैच्योर नजर आती हैं.
रिंकू से जुड़ी बड़ी खबर ये है कि अब रिंकू ने पढ़ाई-लिखाई छोड़कर, करियर आगे बढ़ाने का फैसला कर लिया है. अब वो स्कूल नहीं जाएंगी और अपने करियर को ही आगे बढ़ाएंगी.
इस तरह बीच में पढ़ाई छोड़ने वाली रिंकू के माता-पिता दोनों ही टीचर हैं. वे नहीं चाहते हैं कि रिंकू पढ़ाई छोड़ें और इसीलिए अपनी बेटी को दसवीं पास बनाने के लिए उन्होंने उसका दसवीं का फॉर्म भर दिया है. फॉर्म भर गया है तो हो सकता है कि रिंकू अगले साल मार्च में हाई स्कूल का एग्जाम भी दे लें.
रिंकू के पिता महादेव राजगुरू ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वो नहीं चाहते कि रिंकू पढ़ाई छोड़ें. पर वो रिंकू का लीविंग सर्टिफिकेट स्कूल से ले जा चुके हैं. इस बात की पुष्टि खुद रिंकू के स्कूल जिजामाता कन्या प्रशाला की प्रिंसिपल मंजूश्री जैन ने की है.
एक ओर जहां रिंकू के इस फैसले को करियर और शोहरत के आकर्षण से जोड़कर देखा जा रहा है वहीं एक रिपोर्ट में रिंकू का पक्ष रखते हुए कहा गया है कि वो मजबूरी में पढ़ाई छोड़ रही हैं.
रिपोर्ट की मानें तो स्कूल नहीं जाने का फैसला लेना रिंकू की मजबूरी है. दरअसल, जब वो स्कूल जातीं थीं तो हजारों की संख्या में लोग बाहर आकर खड़े हो जाते. जिसकी वजह से रिंकू के साथ ही दूसरे बच्चों को भी काफी परेशानी होती थी. इसी परेशानी से बचने के लिए उन्होंने स्कूल छोड़ने का फैसला लिया है. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि वो घर रहकर पढ़ाई करेंगी और डिस्टेंस लर्निंग करेंगी.
दोनों पक्ष एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. इस मामले पर कुछ आवाजें जहां रिंकू के पक्ष में हैं वहीं कुछ उनके स्कूल छोड़ने के इस फैसले को गलत बता रहें हैं. लोगों का कहना है कि एक ओर जहां सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि स्कूल से ड्रॉप-आउट रेट कम किया जाए, ऐसे में रिंकू का पढ़ाई छोड़ना एक गलत संदेश हो सकता है.
रिंकू ऐसी पहली बाल कलाकार नहीं है जिन्होंने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है. बहुत से ऐसे कलाकर और बाल-कलाकर हैं जो करियर और पढ़ाई में बैलेंस नहीं बिठा सके.
कुछ मामलों में जहां मां-बाप खुद ही बच्चे को करियर चुनने के लिए प्रेरित करते हैं वहीं कुछ मामलों में बच्चे खुद ही ये तय कर लेते हैं और कुछ मामले रिंकू जैसे होते हैं. फिलहाल तो रिंकू पुणे में हैं और तेलगु सीख रही हैं. वो इतनी बिजी हैं कि अपने घर भी बहुत कम जा पाती हैं. जून में जब उन्होंने स्कूल ज्वाइन किया था तो उसके बाद भी वो सिर्फ दो दिन ही स्कूल गई थीं.