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टूट के एक कदम और करीब पहुंची समाजवादी पार्टी

अखिलेश यादव ने नेताओं से कहा कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव आज कल बेटे से ज्यादा अमर सिंह पर भरोसा कर रहे हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि जब तक उनके उठाए गए मसलों को हल नहीं किया जाता, तब तक वह झुकने को तैयार नहीं हैं.

सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव
बालकृष्ण/सुरभि गुप्ता
  • लखनऊ,
  • 22 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 11:21 PM IST

समाजवादी पार्टी शनिवार को टूट के एक कदम और करीब पहुंच गई. अखिलेश यादव के बागी तेवरों को देखते हुए मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के पांच वरिष्ठ नेताओं रेवतीरमण सिंह, बेनी प्रसाद वर्मा, माता प्रसाद पांडे, नरेश अग्रवाल और किरणमय नंदा को अखिलेश यादव को समझाने-बुझाने के लिए भेजा, लेकिन बैठक बेनतीजा रह गई.

डेढ़ घंटे चली इस बैठक के बाद अखिलेश यादव ने इन नेताओं से कहा कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव आज कल बेटे से ज्यादा अमर सिंह पर भरोसा कर रहे हैं. अखिलेश यादव ने कहा कि जब तक उनके उठाए गए मसलों को हल नहीं किया जाता, तब तक वह झुकने को तैयार नहीं हैं. अखिलेश यादव ने यह भरोसा भी नहीं दिया कि पार्टी और पिता की इज्जत बचाने के लिए 5 तारीख को हो रहे समाजवादी पार्टी के रजत जयंती समारोह में वो हिस्सा लेंगे.

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ऐसी भी खबरें आ रही हैं कि रामगोपाल यादव भी 5 नवंबर को हो रहे लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में समाजवादी पार्टी की 25वीं सालगिरह समारोह में मौजूद नहीं रहेंगे. अखिलेश यादव यह बिल्कुल नहीं चाहते कि वह पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं और नेताओं के सामने अमर सिंह के साथ मंच साझा करें.

इससे पहले इन वरिष्ठ नेताओं ने 2 घंटे तक मुलायम सिंह यादव से मुलाकात की थी और उनसे यह पेशकश की थी कि वो अखिलेश से मिलकर उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे. सुलह की रही-सही उम्मीद भी उस समय जाती रही, जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने शनिवार की शाम को पार्टी के यूथ विंग में नए नेताओं के नामों की घोषणा कर दी. इन यूथ विंग के संगठनों के अध्यक्ष पहले अखिलेश यादव के करीबी नेता थे, जिन्हें शिवपाल यादव ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में हटा दिया था. नए नामों की घोषणा का साफ मतलब है कि अखिलेश यादव के चहेतों के लिए शिवपाल यादव ने दरवाजा बंद कर दिया है.

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समाजवादी पार्टी की कलह उस वक्त साफ हो गई, जब शनिवार को एक ही समय पर मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव और अखिलेश यादव अपनी-अपनी अलग बैठक करने को मजबूर हो गए. मुलायम सिंह यादव अपने घर पर वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठकर माथापच्ची कर रहे थे कि अखिलेश यादव को कैसे मनाया जाए. मुलायम सिंह को चिंता है कि अगर अखिलेश 3 तारीख को अपना रथ लेकर निकल गए और 5 तारीख को पार्टी के जलसे में लखनऊ में नहीं रहे, तो उनकी और पार्टी की भारी फजीहत होगी.

शिवपाल यादव प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से उसी वक्त समाजवादी पार्टी के दफ्तर में बैठ कर अपने नए कार्यकारणी की बैठक ले रहे थे. बैठक में चेतावनी दी गई जो लोग इधर-उधर कानाफूसी कर रहे हैं, उनकी पहचान करके उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. बैठक खत्म होते ही फैसला आ गया कि मुलायम सिंह यादव को चिट्ठी लिखने वाले MLC उदयवीर सिंह को 6 साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया है.

उधर अखिलेश यादव मुख्यमंत्री आवास में अपने समर्थकों और पार्टी से निष्कासित उन नेताओं के साथ बैठक कर रहे थे, जिन्होंने समाजवादी पार्टी दफ्तर जाना बंद कर दिया है. अखिलेश की बैठक का एक ही एजेंडा था, 3 तारीख को उनके चुनाव प्रचार का रथ, जब निकले तब सब को यह एहसास हो जाए की पार्टी के लोग और जनता किसके साथ है. रविवार को अखिलेश यादव ने पार्टी के विधायकों को अपने घर पर बुलाया है और इस बैठक पर सबकी निगाहें लगी हैं कि क्या अखिलेश यादव रविवार को ही कोई बड़ी घोषणा कर देंगे.

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समाजवादी पार्टी के जो नेता शनिवार की शाम को अखिलेश से खाली हाथ मिलकर लौटे, वह एक बार रविवार को फिर कोशिश करेंगे और मुलायम सिंह को जाकर बताएंगे की अखिलेश को मनाने के लिए क्या-क्या करना होगा. लेकिन फिलहाल तो ऐसा ही लगता है की चीजें मुलायम सिंह यादव के हाथ से फिसल रही हैं.

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