
भीमा कोरेगांव में हुए जातीय संघर्ष के बाद पहली बार आरोपी संभाजी भिड़े ने आजतक से बात की. उन्होंने हिंसा फैलाने की घटना को राजनीतिक साजिश करार दिया है. उन्होंने कहा कि मुझे फंसाया जा रहा है. मैंने हिंसा फैलाई यह बेकार की बाते हैं. मैं समाज को तोड़ने का काम नहीं करता हूं.
उन्होंने आगे कहा कुछ लोग मेरा नाम इस मामले में डालकर राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं. संभाजी ने महाभारत का जिक्र करते हुए कहा कि श्रीकृष्ण पर समंतक मणि चुराने के आरोप लगे थे, उसी तरह मुझ पर भी आरोप लग रहे हैं.
मेरा इस मामले से कुछ भी लेना देना नहीं है. यह देश के वातावरण को बिगाड़ने के लिए रची गई साजिश है. मुझ पर वधु गांव में जाकर सभा लेने की बात उतनी ही झूठी है, जैसे किसी को अमावस में चांद दिखा हो.
हिंसा के वक्त मैं मौजूद नहीं था. एक महिला ने मुझ पर आरोप लगाए हैं कि मैंने उन पर पथराव किया. यदि ऐसा है तो पुलिस को सीसीटीवी फुटेज देखने चाहिए. एट्रासिटी एक्ट का गलत इस्तेमाल करके मुझे फंसाया जा रहा है. समाज के एक तबके को इस एक्ट की ताकत दे दी गई है जो इसका जैसा चाहे इस्तेमाल कर रही है. यह लोकतंत्र का अपमान है. यदि मैं दोषी पाया जाता हूं तो मैं फांसी की सजा के लिए भी तैयार हूं.
बता दें कि भीमा कोरेगां में हिंसा फैलाने के मामले में पुलिस ने संभाजी भिड़े गुरुजी और मिलिंद एकबोटे के खिलाफ एट्रासिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है.
यह दोनों महाराष्ट्र के बड़े दक्षिणपंथी नेता कहे जाते हैं. संभाजी भिड़े महाराष्ट्र में शिव प्रतिष्ठान नाम से संगठन चलाते हैं तो वहीं मिलिंद एकबोटे हिंदू एकता आघाडी का नेतृत्व करते हैं.
यह पहला मौका नहीं है, जब इन दोनों नेताओं का नाम हिंसा से जुड़ा हो. इसके पहले 85 साल के संभाजी भिड़े उस वक्त सुर्ख़ियों में आए थे, जब 2008 में फिल्म जोधा अकबर के खिलाफ उनके समर्थकों ने कई थिएटर में तोड़फोड़ की थी. इसके अलावा 2009 में उन्होंने सांगली जिले में एक गणेश पंडाल में अफजल खान का रोल करने पर कलाकारों को रोक दिया था.
वहीं, मिलिंद एकबोटे की बात की जाए तो उन पर 12 केस दर्ज हैं. इनमें दंगा फैलाने समेत कई आपराधिक मामले शामिल हैं. इसके पहले एकबोटे ने पुणे में पार्षद रहते हुए एक मुस्लिम पार्षद से हज हाउस बनाने को लेकर हाथापाई भी की थी.
मालूम हो कि भिड़े और एकबोटे सरकार से लंबे समय से सरकारी रिकॉर्ड में गणपत महार का इतिहास बदलने की मांग करते आए हैं. उनका कहना है कि इस मामले में सरकार फैक्ट्स को दोबारा चैक कर सही इतिहास लोगों तक पहुंचाए.