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EVM की विश्वसनीयता पर उठ रहे सवालों पर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान और जेडीयू नेता के सी त्यागी के सुर एक ही हैं. पासवान कहते हैं कि जब दिल्ली में AAP को 70 में से 67 सीटें आईं तो EVM बहुत अच्छी लगी, अब वह खटकने लगी है. JDU के प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा आरोप लगाने वाले हार का विश्लेषण करना सीखें.
त्यागी ने कहा, 'खामी evm में नहीं हमारी हार न पचाने की सोच में है, जो नेता आज अपनी पार्टी की जीत से गदगद हैं, उन्होंने भी कुछ ही साल पहले खराब नतीजे आने का ठीकरा evm में गड़बड़ी पर फोड़ा था. कुछ नेताओं ने तो किताब तक लिख डाली थी. अब यही evm पर सवाल उठाने का काम AAP कर रही है. 2 साल पहले इसी evm ने दिल्ली में जिताया था. कांग्रेस को पंजाब में evm से ही जीत मिली.'
चुनाव आयोग के पूर्व मुख्य आयुक्त डॉ एस वाई कुरैशी का भी कहना है कि दुनिया के आगे अपनी तकनीकी कामयाबी की नज़ीर पेश करने और रहबरी करने के बाद बैलेट युग में आने की बात करना दुर्भाग्यपूर्ण है. आयोग को चाहिए कि खुद प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर ऐसी तमाम अफवाहों का खंडन करें.
साल 2009 में भी ऐसे आरोप लगे तो आयोग ने राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर आईटी एक्सपर्ट्स को खुली चुनौती दी थी कि evm को टेम्पर करके दिखाएं, लेकिन कोई नहीं कर पाया. या तो आयोग अपनी तरफ से वीवीपीएटी स्लिप्स की गिनती करके जनता में फैलाया जा रहा भ्रम दूर करे या फिर अदालत के आदेश का इंतज़ार. पर अफवाह के कान और भ्रम का जाल काटना ज़रूरी है.