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लहू पर टैक्स: क्या पैडमैन के कहने पर 12% GST हटाएगी सरकार?

आर बाल्की के डायरेक्शन में अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म पैडमैन अगले हफ्ते यानी 9 फरवरी को रिलीज हो रही है. ये फिल्म एक साधारण व्यक्ति के असाधारण मिशन की कहानी है. उसका मिशन महिलाओं की हाइजिन से जुड़े सैनिटरी नैपकीन को लेकर है, ज्यादातर भारतीय समाज में आज भी खुलकर इस मुद्दे पर खुलकर बात नहीं की जाती है. हालांकि अक्षय की फिल्म और हाल ही में सैनिटरी नैपकीन को GST के दायरे में लाने के बाद से इस पर चर्चा की जा रही है.

पैडमैन पैडमैन
हंसा कोरंगा
  • नई दिल्ली,
  • 31 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

आर बाल्की के डायरेक्शन में अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म पैडमैन अगले हफ्ते यानी 9 फरवरी को रिलीज हो रही है. ये फिल्म एक साधारण व्यक्ति के असाधारण मिशन की कहानी है. उसका मिशन महिलाओं की हाइजिन से जुड़े सैनिटरी नैपकीन को लेकर है, ज्यादातर भारतीय समाज में आज भी खुलकर इस मुद्दे पर खुलकर बात नहीं की जाती है. हालांकि अक्षय की फिल्म और हाल ही में सैनिटरी नैपकीन को GST के दायरे में लाने के बाद से इस पर चर्चा की जा रही है.

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दरअसल, फिल्म के अलावा सैनिटरी नैपकीन पर चर्चा करने की मुख्य वजह उसपर केंद्रीय सरकार द्वारा लगाए गए 12% GST की वजह से है. दिल्ली हाईकोर्ट ने भी सरकार से सवाल कर पूछा था कि जब बिंदी, सिंदूर, काजल को टैक्स फ्री रखा है तो फिर सैनिटरी पैड पर GST क्यों लगाया है?

महिला संगठनों और कई सेलिब्रिटीज ने सरकार के इस कदम की आलोचना की थी. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 2018 का केंद्रीय बजट पेश करने जा रहे हैं, हालांकि GST पर कोई अंतिम फैसला GST काउंसिल ही लेगा, लेकिन जेटली से महिलाएं कुछ रियायत की उम्मीद कर सकती हैं. वैसे पैडमैन में मुख्य भूमिका निभा रहे अक्षय कुमार लगातार GST हटाने की मांग करते आ रहे हैं. अक्षय की फिल्म में सैनिटरी नैपकीन को लेकर बहुत सारे सवाल और सैनिटरी को लेकर समाज की सोच का चित्रांकन किया गया है. 

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सैनिटरी पैड्स को लेकर क्या कहते हैं पैडमैन?

अक्षय कुमार ने कहा था, 'ये बिल्कुल फ्री होने चाहिए. 5% रकम डिफेंस से कट कर लें और एक बम कम बनाएं. लेकिन महिलाओं को ये पैसा सैनिटरी नैपकिन खरीदने के लिए दें. अक्षय ने कई बार सैनिटरी पैड्स को ट्रैक्स फ्री करने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर फिल्म के जरिए 5% महिलाएं भी जागरूक हो जाती हैं तो हम ये जंग जीत जाएंगे.

क्यों सैनिटरी नैपकीन पर सरकारी पहल की जरूरत

भारत की 355 मिलियन महिलाओं में से सिर्फ 12% पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड्स का इस्तेमाल करती हैं. 88% महिलाएं पीरियड्स के दौरान सैनिटरी पैड की बजाय गंदे कपड़े, राख, रेत और पेपर का इस्तेमाल करती हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार, गावों में 48.5% और शहरों में 77.5% महिलाएं पैड्स का इस्तेमाल करती हैं. जबकि 23 फीसदी लड़कियां पीरियड्स के चलते स्कूल छोड़ देती हैं.

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गांव की महिलाओं के सैनिटरी नैपकिन न इस्तेमाल करने की वजहें

1. ज्यादा कीमतें

2. कपड़ा का आसानी से मिलना

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3. सैनिटरी नैपकिन से जुड़े मिथक

4. सैनिटरी नैपकिन को लेकर जागरूकता ना होना

सैनिटरी पैड पर जीएसटी की डिटेल

सैनिटरी पैड को बनाने में लगे रॉ मटीरियल पर लगने वाला टैक्स इस प्रकार है...

A.) 18% GST रेट

सुपर एबजॉर्बेंट पोलीमर

पोली एथीलीन फिल्म

ग्लू

LLDPE-पैकिंग कवर

B.) 12% GST रेट

थर्मो बॉन्डेड नॉन-वूवेन

रीलीज पेपर

वुड पल्प

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