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शिवसेना की सरकार में तीसरे नंबर की पार्टी बनना कांग्रेस को दफ्न करने जैसा: संजय निरुपम

अलग विचारधाराओं की पार्टी का एक साथ आना हर किसी के गले नहीं उतर रहा है. इस गठबंधन के खिलाफ कांग्रेस के अंदर से ही आवाज़ आई है, संजय निरुपम ने ट्वीट कर लिखा है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस गलती कर रही है.

संजय निरुपम ने शिवसेना के साथ पर उठाए सवाल संजय निरुपम ने शिवसेना के साथ पर उठाए सवाल
aajtak.in
  • मुंबई,
  • 21 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:45 PM IST

  • संजय निरुपम का कांग्रेस पार्टी पर सवाल
  • शिवसेना के साथ को लेकर साधा निशाना
  • कांग्रेस कर रही है बड़ी गलती: निरुपम

महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना साथ आती दिख रही हैं. अलग विचारधाराओं की पार्टी का एक साथ आना हर किसी के गले नहीं उतर रहा है. इस गठबंधन के खिलाफ कांग्रेस के अंदर से ही आवाज़ आई है, संजय निरुपम ने ट्वीट कर लिखा है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस गलती कर रही है.

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उन्होंने लिखा कि वर्षों पहले उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ गठबंधन कर कांग्रेस ने गलती की थी, तब ऐसी पिटी की आजतक नहीं उठ पाई. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस वही गलती कर रही है, शिवसेना की सरकार में तीसरे नंबर की पार्टी बनना कांग्रेस को दफन करने जैसा है. बेहतर होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष दबाव में ना आएं.

आपको बता दें कि संजय निरुपम लगातार शिवसेना के साथ जाने का विरोध कर रहे हैं और कांग्रेस के ही कुछ स्थानीय नेताओं पर इस गठबंधन को लेकर आरोप मढ रहे हैं. संजय निरुपम अपने ट्वीट में 1996 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में हुए कांग्रेस-बसपा के गठबंधन का हवाला दे रहे हैं. उसी के बाद बीते दो दशक में कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में मुश्किलें बढ़ीं ही हैं.

महाराष्ट्र में बन गई बात?

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गौरतलब है कि बीते कई दिनों से लगातार कांग्रेस और एनसीपी के बीच बैठकों का दौर जारी है, जिसके बाद अब शिवसेना के साथ गठबंधन करना लगभग तय हो गया है. गुरुवार को कांग्रेस-एनसीपी के नेताओं के बीच दिल्ली में बैठकों का अंतिम दौर चल रहा है, इसके बाद शुक्रवार को मुंबई में शिवसेना के साथ अंतिम बैठक होगी.

कई मुद्दों पर हुआ है समझौता!

शिवसेना की छवि कट्टर हिंदुत्व वाली पार्टी की छवि है, ऐसे में कांग्रेस का उसके साथ आना विचारधारा के मोर्चे बड़ी चुनौती साबित हो रही है. दोनों पार्टियों के बीच कॉमन मिनिमम प्रोग्राम में सेकुलरिज्म शब्द लिखने को लेकर विवाद हुआ, जिसके बाद संविधान की प्रस्तावना शामिल करना तय हुआ.

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