
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया है. शिवसेना ने इस बिल पर हो रही वोटिंग का बहिष्कार किया. बाद में शिवसेना नेता और सांसद संजय राउत ने पार्टी के इस कदम पर सफाई पेश की. संजय राउत ने कहा, मैंने और मेरी पार्टी ने तय किया कि इस बिल पर उठ रहे सवालों का जवाब सही ढंग से नहीं दिया गया है. इसलिए यह सही नहीं होगा कि बिल का समर्थन करें या विरोध.
संजय राउत ने कहा कि हम यह नहीं कहते हैं कि शरणार्थियों को नागरिकता न दी जाए, उन्हें नागरिकता मिलनी चाहिए. लेकिन हम कहते हैं अगर वोट बैंक की राजनीति के लिए साजिश हुई है, जैसा की आरोप लगाए भी गए हैं तो उन्हें अगले 25 सालों तक वोटिंग का अधिकार न दिया जाए.
संजय राउत ने कहा, अगर भारत की आबादी और संसाधन देखें तो यहां कितने लोगों को लिया जा सकता है? उन्होंने (सरकार) श्रीलंका में तमिल हिंदुओं पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया. ऐसे कई सवाल और भी हैं. क्या शिवसेना के इस कदम से महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी सरकार पर कोई असर पड़ेगा? इसके जवाब में राउत ने कहा, इससे क्या असर पड़ेगा. इस बारे में हमने पहले ही अपने विचार बता दिए थे. हमलोग एक स्वतंत्र पार्टी में शामिल हैं. हमारा अपना रोल है.
नागरिकता संशोधन विधेयक पास
नागरिकता संशोधन विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया. यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है. राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 99 वोट पड़े. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को राज्यसभा में विधेयक को पेश किया, जिस पर करीब छह घंटे की बहस के बाद अमित शाह ने सदन में विधेयक से संबंधित जवाब दिए.
विपक्ष इस विधेयक का लगातार विरोध कर रहा है और संविधान विरोधी बता रहा है. इस विधेयक के खिलाफ असम सहित पूर्वोत्तर के कई राज्यों में प्रदर्शन हो रहा है. विधेयक को स्थायी समिति में भेजने का प्रस्ताव खारिज हो गया. समिति के पास इसे नहीं भेजने के पक्ष में 124 वोट और विरोध में 99 वोट पड़े. शिवसेना ने सदन से वॉकआउट किया और वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.