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संस्कृत धार्मिक नहीं, बल्कि भारतीय भाषा है: अध्यापक रमजान अली

खुद रमजान अली को भी कई मोर्चे पर संस्कृत से प्रेरणा मिली. उनके लिए यह धार्मिक मंत्रोच्चार के प्रभाव से परे की चीज है. रमजान कहते हैं कि संस्कृत कोई धार्मिक भाषा नहीं है. यह कुछ विशेष रीति-रिवाजों का एक हिस्सा है लेकिन यह एक भारतीय भाषा है और देश की परंपराओं का भी एक हिस्सा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
मनोज्ञा लोइवाल
  • कोलकाता,
  • 23 नवंबर 2019,
  • अपडेटेड 12:33 AM IST

  • हावड़ा जिले के रामकृष्ण विद्यामंदिर में संस्कृत पढ़ाते है रमजान अली
  • संस्कृत कोई धार्मिक भाषा नहीं, रीति-रिवाजों का एक हिस्सा-अली

रमजान अली पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के रामकृष्ण विद्यामंदिर में संस्कृत पढ़ाते हैं. 35 वर्षीय रमजान अली को उत्तरी बंगाल के अलीपुरदुआर से यहां लाया गया है. पिछले कुछ दिनों से वे यहां पढ़ा रहे हैं.

स्कूल में संस्कृत पढ़ाते है रमजान अली

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रमजान अली को अपने स्कूल के दिनों से ही संस्कृत पसंद थी. इस भाषा ने उन्हें जो भी सिखाया है, उसे साझा करने में वे खुशी महसूस करते हैं. वे बताते हैं, 'स्कूल के दिनों में 7वीं क्लास से लेकर 12वीं तक एक विषय के रूप में हमने संस्कृत पढ़ी. संस्कृत ऐसा विषय है जो हमारे दिमाग की सारी गंदगी साफ कर देती है और हमें प्रेरित करती है.'

खुद रमजान अली को भी कई मोर्चे पर संस्कृत से प्रेरणा मिली. उनके लिए यह धार्मिक मंत्रोच्चार के प्रभाव से परे की चीज है. रमजान कहते हैं, 'संस्कृत कोई धार्मिक भाषा नहीं है. यह कुछ विशेष रीति-रिवाजों का एक हिस्सा है लेकिन यह एक भारतीय भाषा है और देश की परंपराओं का भी एक हिस्सा है. मैं ​हर किसी को यह बताना चाहता हूं. भारत के लोगों के साथ-साथ बाहर के लोगों को भी इस विषय और इस भाषा को सीखना चाहिए.'

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रमजान का कहना है कि उनका मजहब एक बार के लिए भी उनके संस्कृत पढ़ाने के रास्ते में नहीं आया. शुरूआत में उन्हें मंत्रोच्चार सीखने में परेशानी आती थी, लेकिन बाद में उनके लिए यह आसान हो गया और वे इसे अन्य किताबों की तरह पढ़ने लगे.

BHU मुद्दे को निपटाएं

हालांकि, उन्हें लगता है कि एक संस्कृत के अध्यापक की नियुक्ति के विरोध में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों के गुस्से से अलग तरह से निपटा जाना चाहिए. रमजान अली ने कहा, 'हमने दो दिन पहले बीएचयू की घटना के बारे में सुना है और मुझे मामले की पूरी जानकारी नहीं है. मैं सोचता हूं कि अगर फिरोज खान वहां की कमेटी के साथ समझौता कर लें, तो यह अच्छा होगा.'

हाल ही में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के संस्कृत विभाग में एक मुस्लिम फिरोज खान की एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति हुई ​तो छात्रों का एक ग्रुप इस नियुक्ति के विरोध में धरने पर बैठ गया. छात्र पाठ्यक्रम के हिंदू रीति-रिवाजों वाले हिस्से को मुस्लिम अध्यापक से पढ़ने को लेकर विरोध कर रहे थे. यह हड़ताल शुक्रवार को खत्म हो गई.

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