Advertisement

सरदार पटेल: जिन्होंने गांधी के लिए छोड़ा था प्रधानमंत्री पद!

सरदार पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक ऐसा नाम है, जिन्हें भारत के वर्तमान भौगोलिक स्वरूप का निर्माता माना जाता है. बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व करने वाले वल्लभ भाई को वहां की महिलाओं ने 'सरदार' की उपाधि से नवाजा.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
मोहित पारीक
  • नई दिल्ली,
  • 31 अक्टूबर 2017,
  • अपडेटेड 3:19 PM IST

सरदार पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक ऐसा नाम है, जिन्हें भारत के वर्तमान भौगोलिक स्वरूप का निर्माता माना जाता है. बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व करने वाले वल्लभ भाई को वहां की महिलाओं ने 'सरदार' की उपाधि से नवाजा. वे साल 1875 में 31 अक्टूबर के दिन जन्मे थे और साल 15 दिसंबर 1950 को उनका निधन हो गया था. सरदार पटेल को 500 रियासतों को भारतीय गणराज्य में मिलाने का श्रेय जाता है. उन्होंने ही गुजराती किसानों को कैरा डिस्ट्रक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन बनाने के लिए प्रेरित किया, जो बाद में अमूल बनी.

Advertisement

आईएएस, आईपीएस सेवाओं की थी शुरुआत

देश के पहले गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री पटेल को आईएएस, आईपीएस और केंद्रीय सेवाओं का जनक कहा जाता है. सरदार पटेल अपने शुरुआती दिनों में एक वकील भी थे. वे कमजोर मुकदमे को भी सटीकता से पेश करके उसमें जान फूंक किया करते थे. वे गांधी से बेहद प्रभावित थे. साल 1917 में गाधी से प्रभावित होकर वे आजादी के आंदोलन की ओर मुड़ गए. 1917 से 1924 तक सरदार पटेल ने अहमदनगर के पहले भारतीय निगम आयुक्त के रूप में सेवा प्रदान की और 1924 से 1928 तक वे इसके निर्वाचित नगरपालिका अध्यक्ष भी रहे.

छोड़ा था प्रधानमंत्री का पद!

साल 1946 में आजादी से पहले तय हो चुका था कि कांग्रेस का अध्यक्ष ही देश का प्रधानमंत्री होगा. उस वक्त कांग्रेस की कमान मौलाना आजाद के हाथ में थी, लेकिन महात्मा गांधी ने उन्हें मना कर दिया था. गांधी ने प्रधानमंत्री के लिए नेहरू का समर्थन किया था. नेहरू को गांधी का समर्थन होने के बाद भी देश से समर्थन नहीं मिला और सरदार पटेल को 15 में से 12 राज्यों को समर्थन हासिल हुआ. इस वक्त गांधी को लगा कि ऐसे में कांग्रेस टूट न जाए. अंग्रजों को एक और बहाना मिल जाएगा. सरदार पटेल ने गांधी के सम्मान में अपना नामांकन वापस ले लिया.

Advertisement

युद्ध का था आभास

उन्होंने साल 1950 में प्रधानमंत्री नेहरू को पत्र लिखकर चीन से आगाह रहने की सलाह दी थी. दुर्भाग्य से पंडित नेहरू इस खतरे को भांप नहीं पाए. भारत को साल 1962 में युद्ध का सामना करना पड़ा. सरदार पटेल ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी से गांधी जी की हत्या के बारे में बात की थी. पटेल ने यह बात तब कही थी, जब मुखर्जी ने उन्हें पत्र लिखकर इस बात पर आपत्ति की कि आरएसएस का नाम जबरन गांधीजी की हत्या में उछाला जा रहा है. भारत के वर्तमान भौगोलिक स्वरूप का श्रेय काफी हद तक उन्हें ही जाता है. वे राजनीति के साथ-साथ कूटनीति में भी माहिर माने जाते थे.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement