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महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के नतीजे आए और कांग्रेस के लिए ये दोनों राज्य 'महा-हार-राष्ट्र' और 'हार-याणा' साबित हुए. महाराष्ट्र में 82 से 42 और हरियाणा में 40 से 15 सीटों पर सिमटकर कांग्रेस ने दोनों ही राज्यों में सत्ता गंवा दी.
'हार के कारणों की समीक्षा' होती तो है, पर किस तरह होती है, ये एक भी आम आदमी को मालूम नहीं. फर्ज कीजिए कि नतीजे आने के बाद अगर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी आनन-फानन में एक बैठक बुलातीं तो उसमें क्या होता. फर्ज कीजिए कि 10 जनपथ की इस गुप्त बैठक का वीडियो लीक हो जाए और हमारे हाथ लग जाए. तब सीन कुछ इस तरह होगा.
पहली आवाज सोनिया गांधी की सुनाई देती है.
सोनिया गांधी: दो राज्य और ! मुझे कोई आश्चर्य नहीं होता अगर जीतने की खबर कोई देता तो जरूर झटका लगता.
शशि थरूर: यही तो सोचने वाली बात है हम लगातार हार रहे हैं और वो लगातार जीत रहे हैं,उनकी रणनीति में ऐसा अलग क्या है? हमारे नेतृत्व में कमी कहां रह गई?
सलमान खुर्शीद: थरूर साहब आपको बड़ी कमियां नजर आने लगी हैं हमारे नेतृत्व में,माना आप दक्षिण भारतीय हैं पर दक्षिणपंथी हुए जा रहे हैं. बड़ी तारीफें हो रही हैं आजकल ‘उनकी’.
थरूर: ये ये आप क्या...हरियाणा में भी हारे हैं हम और..
दिग्विजय सिंह: नेतृत्व पर सवाल उठाना गलत है. ये कोई बात नहीं हुई कि हम हारे हैं. हरियाणा में सैद्धांतिक तौर पर हमारी जीत हुई है.
पृथ्वीराज चव्हाण: क्या बात कही है दिग्विजय जी,और महाराष्ट्र में भी बीजेपी को जनता ने स्वीकारा नहीं है. पूर्ण बहुमत नहीं मिला है उन्हें, ये बात समझिए. पर मीडिया को क्या कहना है? ये मोदी लहर के बारे में .
सोनिया गांधी: कुछ भी कह दीजिये ,पर मोदी लहर कहीं नहीं है. कह देंगे कि एनसीपी ने धोखा दिया. आखिरी वक़्त में चुपके से बीजेपी से मिल गए.
राहुल गांधी: सब मिले हुए हैं जी.
पृथ्वीराज चव्हाण: वो तो हैं ही, वो पवार जी के भतीजे थे एक, जब हमारे साथ थे बहुत बोलते थे “पानी नहीं आ रहा बांध में, ‘वो’ कर के भर दूं”. खिसिया गए किसान. अब सारे किए-कराए पर पानी फेर के अब उनके साथ जाने को तैयार बैठे हैं.
शशि थरूर: मोदी लहर से नहीं हारे, नेतृत्व की गलती नहीं थी, सहयोगियों ने साथ नहीं दिया, फिर भी हारे क्यों वजह तो बताइये कि आगे ऐसा न हो .
सलमान खुर्शीद: देखिये थरूर साहब ये सब पॉलिटिक्स की बाते हैं,आप ट्विटर पर ध्यान लगाइए न. जनता बदलाव चाहती थी इसलिए हारे. आपके यहां भी ट्रेंडिंग टॉपिक बदलते हैं कि नहीं?
अजय माकन: पर हरियाणा का क्या? वहां तो हैट्रिक लगाने वाले थे न हुड्डा साहब?
हुड्डा: हैट्रिक ही तो हैडेक थी .
सोनिया गांधी: मोदी तो मुश्किल से वहां गए थे, दो-चार रैलियां की,विकास वाले भाषण दिए और आप वहां दो बार से थे, इतने सालों में जमीन से जुड़कर कोई काम नहीं किया?
हुड्डा (खिसियाकर): ‘जमीन’ से जुड़े काम ही तो करते थे मैडम,वाड्रा जी से पूछ लीजिए,उन्ही के साथ तो किए हैं.
अजय माकन: अरररररर वो सब हटाइये,आपने इतने भत्ते दिए थे चुनावों के पहले,वो पच्चीस परसेंट क्या बढ़ाया था? वो काम नहीं आया .
हुड्डा: अब ये सब न पूछिए प्लीज. भत्तों ने और भट्ठा बैठा दिया,कोई फायदा नहीं मुख्यमंत्री बनो सबकी सुनो कोई जूता फेंकता है कोई हाथ चलाता है. हूटिंग होती है प्रधानमंत्री के सामने,अब हार गए तो भी कारण बताओ,आपको जो कहना करना है कह दीजिये मुझसे अब ये सब न होगा.
अजय माकन: ठीक है,ठीक है,तो चलिए नतीजों पर आते हैं जो बाहर बताना है. कुछ पॉइंट्स निकल कर लाए हैं ध्यान से सुनिए. इसके बाद इन नतीजों पर कोई कभी बात नहीं करेगा .
- पार्टी अपनी हार स्वीकार करती है और जनता के फैसले का सम्मान करती है.
- पार्टी को शीर्ष नेतृत्व पर पूरा भरोसा है,दो राज्यों में पार्टी की हार के लिए राहुल गांधी की जिम्मेदारी नहीं बनती.
- हरियाणा में जनता बदलाव चाहती थी इसलिए हम हारे.
- सैद्धांतिक तौर पर पार्टी विजयी हुई है.
- कोई मोदी लहर नही है. बीजेपी को महाराष्ट्र में पूर्ण बहुमत नहीं मिलना बताता है कि जनता को अब तक उन पर भरोसा नहीं है.
- एनसीपी जैसे सहयोगियों ने धोखा दिया वरना हम कभी न हारते .
- हरियाणा में हारने के बाद हम भले सत्ता में न रहें पर ‘जमीन’ से जुड़े रहकर काम करेंगे .
-हम हार के कारणों की समीक्षा करेंगे.
(आशीष मिश्रा फेसबुक पर सक्रिय व्यंग्यकार और पेशे से इंजीनियर हैं. यह सिर्फ एक व्यंग्य है और इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है.)