
चार्ल्स डार्विन के विकास संबंधी सिद्धांत को वैज्ञानिक आधार पर गलत करार दिए जाने के बाद आलोचना का सामना करने वाले मोदी सरकार में मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल को अब राज्यसभा में इस पर सफाई देनी पड़ी.
केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री डा. सत्यपाल सिंह ने राज्यसभा में लिखित जवाब में खुद के दिए बयान का ही खंडन किया. उन्होंने अपने लिखित जवाब में कहा कि चार्ल्स डॉर्विन की थ्योरी 12वीं कक्षा के बॉयोलॉजी के पाठ्यक्रम का हिस्सा है और इस सिद्धांत को स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम से हटाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.
पिछले महीने औरंगाबाद में अखिल भारतीय वैदिक सम्मेलन में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत में मंत्री सत्यपाल ने डार्विन के विकास सिद्धांत को वैज्ञानिक तौर पर गलत करार दिया और कहा कि स्कूल तथा कॉलेजों को अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करना चाहिए. हालांकि उनके इस बयान के बाद 2,000 से ज्यादा वैज्ञानिकों ने इसकी कड़ी निंदा की और राज्य मंत्री के दावे को गलत बताया .
उन्होंने कहा था कि डार्विन का सिद्धांत (मनुष्य का क्रमिक विकास) वैज्ञानिक दृष्टि से गलत है. इसे स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में बदला जाना चाहिए. मनुष्य को जब से धरती पर देखा गया वह मनुष्य ही था. हमारे पूर्वजों समेत किसी ने भी लिखित या मौखिक तौर पर नहीं कहा कि उन्होंने एक वानर को मानव में बदलते हुए देखा. हमने जो भी किताबें पढ़ी हैं या दादी-नानी द्वारा हमें सुनाई गई कहानियों में कहीं भी इसका जिक्र नहीं मिलता है.
राज्य मंत्री के इस बयान के बाद लोगों ने जमकर आलोचना की खासकर वैज्ञानिक जगत ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी. भारत की तीन विज्ञान अकादमियों के वैज्ञानिकों ने बयान जारी कर कहा कि मंत्री के बयान का कोई भी वैज्ञानिक आधार नहीं है.
अपने मंत्री की ओर से ऐसे बेतुके बयान के बाद केंद्र में सत्तारुढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी और सरकार को शर्मसार होना पड़ा. उनके पास अपने मंत्री का बचाव करना मुश्किल हो रहा था. इस बयान के बाद सोशल मीडिया और मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया को देखते हुए पार्टी के शीर्ष स्तर पर तुरंत सफाई की जरुरत महसूस की जाने लगी.
इस बयानबाजी के बाद सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, पार्टी की ओर से वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर को ही यह स्थिति संभालने को कहा गया. जावडेकर ने बाद में बताया कि उन्होंने इस मामले पर उनसे बात की है और उनको निर्देश दिया कि इस विषय पर अपना बयान जारी करें. साथ ही यह भी सलाह दी है कि हमें विज्ञान को कमतर नहीं आंकना चाहिए.