Advertisement

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने शिक्षा ऋण डिफॉल्टरों को क्लर्क बनने से रोका

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने शिक्षा ऋण डिफॉल्टरों को क्लर्क बनने से रोक दिया है. डिफॉल्टर अब जूनियर एग्रीकल्‍चर एसोसिएट और जूनियर एसोसिएट के पद पर आवेदन नहीं कर पाएंगे. 

State Bank Of India State Bank Of India
स्नेहा/IANS
  • नई दिल्ली,
  • 19 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 5:37 PM IST

देश में 9,000 करोड़ रुपये का ऋण नहीं चुकाने वाला एक व्यक्ति सांसद बन सकता है, लेकिन आर्थिक या पारिवारिक समस्या के कारण शिक्षा ऋण नहीं चुका पाने वाला एक युवक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) में लिपिक की नौकरी के लिए आवेदन करने से रोक दिया जाता है. देश के एक प्रमुख बैंक कर्मचारी संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी की नजर में स्थिति बिल्कुल वाजिब नहीं है.

Advertisement

संघ के अधिकारी ने कहा कि शिक्षा ऋण नहीं चुका पाने वालों के नाम सार्वजनिक कर उन्हें शर्मिदा करने के बाद एसबीआई अब उन्हें बैंक में लिपिक पद पर भर्ती के लिए आवेदन करने से रोक रही है.

ऑल इंडिया बैंक एंप्लाईज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी.एच. वेंकटाचलम ने आईएएनएस से कहा, 'कनिष्ठ सहायक और कनिष्ठ कृषि सहायक की बहाली की सूचना में एसबीआई ने ऐसे अभ्यर्थियों को आवेदन करने से मना कर दिया है, जिनका रिकॉर्ड ऋण नहीं चुकाने या क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान नहीं करने का है या जिनके नाम के विरुद्ध सिविल या अन्य एजेंसियों की प्रतिकूल रिपोर्ट उपलब्ध हैं'.

एसबीआई की सूचना में कहा गया है, 'जिन अभ्यर्थियों के विरुद्ध चरित्र और पिछले जीवन तथा नैतिक व्यवहार के बारे में प्रतिकूल रिपोर्ट उपलब्ध है, वे इस पद के लिए आवेदन करने के अयोग्य हैं.'

Advertisement

वेंकटाचलम ने कहा, 'एसबीआई की शर्त अनुचित है और उसे बदला जाना चाहिए. अर्थव्यवस्था की स्थिति अच्छी नहीं है और परिणामस्वरूप कंपनियों को दिए गए ऋण बुरे या गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में बदल रहे हैं. इसके कारण नए स्नातकों को नौकरी नहीं मिल पा रही है और बेरोजगारी बढ़ रही है.'

यह विडंबना है कि विजय माल्या पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया है और उन्हें विलफुल डिफाउल्टर घोषित किए जाने के बाद भी वह सांसद हैं, लेकिन एक गरीब छात्र जिसने संभवत: वाजिब कारण से ऋण नहीं चुकाया हो, उसे एसबीआई ने लिपिक की नौकरी पर आवेदन करने से रोक दिया है.

उन्होंने कहा, 'नए स्नातक को यदि नौकरी नहीं मिले, तो वह ऋण नहीं चुका सकता है. यदि एसबीआई जैसे संस्थान उन्हें नौकरी के लिए आवेदन करने से भी रोक दें, तो वे ऋण कैसे चुकाएंगे .'

एजुकेशन लोन टॉस्क फोर्स (ईएलटीएफ) के संयोजक के. श्रीनिवासन ने कहा, 'हकीकत यह है कि बैंक अपने खाते मेंटेन नहीं करते हैं. ऐसे भी मामले आए हैं, जब एक छात्र को पाठ्यक्रम पूरा करने से पहले ही बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया है.' ईएलटीएफ छात्रों को राष्ट्रीयकृत बैंकों के शिक्षा ऋण संबंधी नियमों पर मुफ्त सलाह देता है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement