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सुप्रीम कोर्ट ने लगाया जुर्माना तो डॉक्टरों ने मांगी माफी, बोले-गरीबों का करेंगे मुफ्त इलाज

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना के लिए गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल, प्रिवाट डॉक्टर सचदेवा लिमिटेड अस्पताल के दो डॉक्टरों, के एस सचदेवा और डॉक्टर मुनीश प्रभाकर को 70-70 लाख रुपये सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती
अहमद अजीम
  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2017,
  • अपडेटेड 7:18 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की अवमानना के लिए गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल, प्रिवाट डॉक्टर सचदेवा लिमिटेड अस्पताल के दो डॉक्टरों, के एस सचदेवा और डॉक्टर मुनीश प्रभाकर को 70-70 लाख रुपये सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री में जमा करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट में जमा कुल रकम का इस्तेमाल गरीबों के इलाज के लिए किया जाएगा.

डॉक्टर एस सचदेवा और डॉक्टर मुनीश प्रभाकर ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी भी मांगी और रियायत की गुहार लगाते हुए कहा कि हम अपने अस्पताल की 10 परसेंट बेड गरीब मरीजों के इलाज के लिए देंगे और 1 साल तक मुफ्त में इलाज भी करेंगे.

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हत्या के आरोपी पूर्व विधायक को किया था भर्ती
इन डॉक्टरों ने हत्या में आरोपी एक पूर्व विधायक बलबीर सिंह बाली को इलाज के नाम पर अस्पताल में साल भर से ज़्यादा रखा, जिसकी वजह से वह जेल जाने बच गया. बलबीर बाली की जमानत सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी थी, लेकिन उसने सरेंडर नहीं किया, क्योंकि इन डॉक्टरों ने उसे इलाज के नाम पर अस्पताल में भर्ती रखा, जबकि उसको किसी इलाज की ज़रूरत नहीं थी. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सीबीआई ने जांच की और पाया कि ये सारी कारस्तानी विधायक ने दोनों डॉक्टर्स से मिल कर की थी.

6 मई 2011 को इनेलो के पूर्व विधायक बलबीर सिंह बाली के खिलाफ हत्या का केस दर्ज हुआ था. मार्च 2012 में रोहतक सेशन कोर्ट ने बाली की जमानत याचिका रद्दर कर दी थी. 11 फरवरी 2013 को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से पूर्व विधायक बाली को जमानत मिल गई. जिसके खिलाफ शिकायतकर्ता पूर्व सरपंच ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई.

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सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2013 को हाईकोर्ट से मिली जमानत को रद्द करते हुए बाली को तुरंत सरेंडर करने के आदेश दिए, लेकिन पूर्व विधायक ने सरेंडर नहीं किया और बीमारी का बहाना बनाते हुए गुड़गांव के निजी अस्पताल 'प्रिवाट डा. सचदेवा लिमिटेड' में भर्ती हो गए. इसके बाद शिकायतकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी. इस बीच कोर्ट ने पूर्व विधायक को भगोड़ा घोषित कर दिया. बाद में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया.

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