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सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात में सिलिकोसिस बीमारी से मरे 238 लोगों के परिजनों को मुआवजा देने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात और मध्य प्रदेश को सिलिकोसिस बीमारी से पीड़ित लोगों के बारे में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के फैसले का पालन करने को कहा है. ये मामला 2007-08 का है जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
सिलिकोसिस बीमारी से हुई थी 238 लोगों की मौत
दरअसल साल 2007-08 में गुजरात में औद्योगिक क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के भारी संख्या में सिलीकोसिस बीमारी से पीड़ित होकर मरने के मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को निर्देश दिया है कि वो 238 मृतकों के परिजनों को 3-3 लाख रुपये का मुआवजा दे. अब इस मामले की अगली सुनवाई 11मई को होगी.
गुजरात, एमपी को SC का सख्त आदेश
जस्टिस कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता वाली बेंच ने प्रसार नाम की एक घिर सरकारी संस्था की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को आदेश दिया कि वह मृतकों को मुआवजा देने के संबंध में 2009 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश का पालन करें. वहीं इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को भी कहा है कि वह भी राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश की पालना करते हुए अपने राज्य के 304 पीड़ितों के निशुल्क उपचार और उनके पुनर्वास का इंतजाम करें.
गुजरात सरकार के जवाब से कोर्ट असंतुष्ट
इस मामले में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कहा था कि उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश के बाद सिलीकोसिस बीमारी से पीड़ित 238 मृतकों के मामलों की जांच कराई थी. इनमें से 148 ऐसे मामले थे, जिनमें मरीज अन्य सरकारी योजनाओं से जुड़े थे. जहां उनके परिजनों को मुआवजा मिला है. ऐसे में उनकी ओर से 148 लोगों को मुआवजा नहीं दिया जा सकता.
शिवराज सरकार ने बताई अपनी मजबूरियां
दूसरी तरफ मध्य प्रदेश सरकार ने मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर कर बताया था कि उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश के बाद उन्होंने प्रदेश के झाबुआ, अलीराजपुर और धार नामक तीन जिलों में सर्वे कराया था. वहां पर उन्हें इस तरह के कुछ लोग मिले हैं जो गुजरात गए थे और वहां पर काम करने के दौरान सिलीकोसिस बीमारी से पीड़ित हो गए. सरकार उनकी सूची तैयार कर रही है.
मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग सख्त
अप्रैल 2008 में गुजरात में काम करने वाले सैकड़ों मजदूरों के सिलीकोसिस नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2009 में इस मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निपटारे के लिए भेज दिया था. नवंबर 2009 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने फैसला सुनाया कि सिलीकोसिस नामक बीमारी से गुजरात में मारे जा चुके 238 लोगों के परिजनों को गुजरात सरकार 3-3 लाख रुपये का मुआवजा दे. वहीं, इस बीमारी से पीड़ित जो 304 लोग मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं, उनका निशुल्क उपचार मध्यप्रदेश सरकार कराए. इसके साथ ही सभी का पुनर्वास भी सरकार कराएगी.
कोर्ट ने दिया नियम को पालन करने का आदेश
जनवरी 2014 में पीपल्स राइट एंड सोशल रिसर्च सेंटर (प्रसार) नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर की थी जिसमें ये कहा गया की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की ओर से साल 2009 में दिए गए आदेश का अभी तक पालन नहीं किया गया है. इन्होंने न तो पीड़ितों को मुआवजा बांटा है और न ही अभी तक किसी पीड़ित का पुनर्वास किया गया है. राज्य सरकारों की ओर से इस संबंध में कोई मदद न दिए जाने के चलते अब सिलीकोसिस से मध्य प्रदेश के 1701 आदिवासी मौजूदा समय में पीड़ित हैं. लिहाजा दोनों राज्य सरकारों को आदेश जारी किया जाए कि वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आदेश का पालन करे और फैसले के बाद बढ़े मामलों में पुनर्वास के कदम उठाए जाएं.