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देशभर के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कालेजों में दाखिले की कमान देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने संभाल ली है. 5 जजों की बेंच ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढा कमेटी का गठन कर दिया गया. साथ ही यह कहा है कि मेडिकल दाखिले की प्रक्रिया सरकार की देखरेख में ही होनी चाहिए. एमसीआई फिलहाल इसी समिति की देखरेख में काम करेगी. कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया पर जमकर सवाल भी उठाए हैं.
क्या है सुप्रीम कोर्ट का आदेश
- सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के जरिये कॉलेजों में होने वाली दाखिला प्रक्रिया की निगरानी के लिए रिटायर्ड चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमिटी बनाई. पूर्व सीएजी विनोद राय और आईएलबीएस के निदेशक शिव सरीन कमिटी के सदस्य होंगे.
- कोर्ट ने कहा कि इस फैसले से प्राइवेट कालेजों की स्वायत्तता पर कोई फर्क नहीं पडेगा.
- CET या फीस का मुद्दा अब तक राज्य के पास था लेकिन NEET के नोटिफिकेशन के बाद ये केंद्रीय कानून के तहत होगा.
- अब ये मामला केंद्र और राज्य के बीच होगा जो आर्टिकल 254 के तहत आपस में सुलाझाया जाएगा.
- जस्टिस लोढा कमेटी तब तक काम करेगी जब तक केंद्र सरकार MCI की कार्यप्रणाली को दुरुस्त करने के लिए कोई इंतजाम नहीं करती है.
- MCI किसी भी फैसले को खुद नहीं ले पाएगी और उसे जस्टिस लोढा कमेटी की इजाजत की जरूरत होगी.
- कमेटी अपने फैसले या निर्देश जारी करने के लिए आजाद है.
- जस्टिस लोढा कमेटी MCI एक्ट के तहत सारे अधिकारों की निगरानी करेगी और दो हफ्तों में इसका नोटिफिकेशन जारी करने होंगे.
प्राइवेट कालेजों पर सख्ती करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि
- प्राइवेट मेडिकल कॉलेज CET पारदर्शी और सही तरीके से कराने में नाकाम रहे हैं.
- जिसकी वजह से मेधावी और कमजोर वर्ग के छात्र दाखिले से वंचित रह जाते हैं जबकि लाखों रुपये की कैपिटेशन फीस लेकर दाखिले दिए जाते हैं.
- सरकार के पास टेस्ट कराने के बेहतर तरीके होते हैं और उनका आसानी से पता लगाया जा सकता है क्योंकि सरकार RTI, लोकायुक्त आदि के दायरे में रहती है.
- प्राइवेट कालेजों में दाखिलों के लिए सरकार के नामांकित लोग भी प्राइवेट कालेजों से जुड़े लोग होते हैं जिनका बड़ा व्यावसायिक हित होता है.
SC ने मेडिकल काउंसिल पर भी उठाए सवाल
- MCI का गठन देश में मेडिकल सेवाओं की बेहतरी के लिए किया गया. वो अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहा है
- वो अपनी मूलभूत जिम्मेदारी को भी नहीं निभा सके. जो मेडिकल प्रोफेशनल आ रहे हैं वे उनके लिए पूरी तरह तैयार नहीं हैं. यही वजह है कि ये लोग प्राइमरी हेल्थ सेंटर या जिला स्तर पर उपयुक्त नहीं हैं.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मैनेजमेंट कोटे में आधी सीटें राज्य की प्रवेश परीक्षा के जरिये भरने के मध्य प्रदेश सरकार के कानून को सही ठहराया है. ये फैसला मध्यप्रदेश के एक प्राइवेट डेंटल कॉलेज मामले में सोमवार को सुनाया गया. सुप्रीम कोर्ट NEET के मामले अगली सुनवाई तीन मई को करेगा.
क्या है आर्टिकल 142
दरअसल संविधान के आर्टिकल 142 में सुप्रीम कोर्ट को ये अधिकार दिया गया है जब सरकार किसी दायित्व का निर्वहन करने में नाकाम रहती है तो सुप्रीम कोर्ट उस पर फैसला सुना सकता है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए यूपी में लोकुक्त नियुक्त किया था.