
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस जेएस खेहर को भारत का प्रधान न्यायाधीश बनाए जाने की अधिसूचना को चुनौती देते हुए दायर की गई याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
न्यायिक पारदर्शिता और सुधारों के लिए काम करने वाले वकील एक संगठन द्वारा दायर इस याचिका में कहा गया था कि जस्टिस खेहर उस संविधान पीठ के अध्यक्ष थे, जिसने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को असंवैधानिक करार दिया था और इस तरह उन्होंने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर अपनी नियुक्ति का रास्ता साफ कर लिया.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई में याचिकाकर्ता के इस दलील को खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जस्टिस खेहर को अगला प्रधान न्यायाधीश बनाए जाने का निर्णय मौजूदा चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर के अकेला का नहीं था, बल्कि नियुक्त पर गठित कोलेजियम में उनके अलावा चार दूसरे वरिष्ठ जज भी शामिल थे. इस कोलेजियम ने सर्वसम्मति से जस्टिस खेहर का नाम पारित किया था. इससे साफ होता है कि वह (खेहर) चीफ जस्टिस बनने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं.
कोर्ट ने कहा कि खेहर की नियुक्ति के खिलाफ दायर इस याचिका में कोई मेरिट नहीं हैं. इसलिए इसे खारिज किया जाता है. हालांकि इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह छूट दी है कि अगर वह इस फैसले से संतुष्ट नहीं है, तो पुनर्विचार याचिका दायर कर सकता है.