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'हिंदुत्व एक जीवनशैली' वाले फैसले पर सुप्रीम कोर्ट का फिर विचार करना शुरू

चुनाव में धर्म के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई चल रही है. 'हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि जीवनशैली है', इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दो दशक बाद फिर से विचार करना शुरू किया है.

चुनावों में धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल पर सुनवाई चुनावों में धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल पर सुनवाई
अहमद अजीम/खुशदीप सहगल
  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 6:00 PM IST

चुनाव में धर्म के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई चल रही है. 'हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि जीवनशैली है', इस फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने दो दशक बाद फिर से विचार करना शुरू किया है. सुप्रीम कोर्ट के 7 सदस्यों की संविधान पीठ इस मुद्दे और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर गौर कर रही है, जैसे कि क्या धर्म (हिंदुत्व समेत) को चुनावी लामबंदी के दौरान इस्तेमाल किया जा सकता है या इससे बचा जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रहेगी.

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क्या था 1995 में कोर्ट का फैसला?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच ने दिसंबर 1995 में फैसला दिया था कि चुनाव में हिंदुत्व का इस्तेमाल गलत नहीं है क्योंकि हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि एक जीवन शैली है. जस्टिस जेएस वर्मा की अगुआई वाली बेंच ने यह फैसला दिया था. कोर्ट ने कहा था, 'हिंदुत्व शब्द भारतीय लोगों के जीवन पद्धति की ओर इशारा करता है. इसे सिर्फ उन लोगों तक सीमित नहीं किया जा सकता, जो अपनी आस्था की वजह से हिंदू धर्म को मानते हैं.' इस फैसले के तहत, कोर्ट ने जनप्रतिनिधि कानून के सेक्शन 123 के तहत हिंदुत्व के धर्म के तौर पर इस्तेमाल को 'भ्रष्ट क्रियाकलाप' मानने से इनकार कर दिया था.

2014 में केस सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की पीठ को सौंपा गया
1995 के फैसले के बाद इसी मुद्दे पर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने आई. पांच जजों की पीठ ने इस मामले को 2014 में सात जजों की बेंच के हवाले कर दिया.

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मंगलवार को एक याचिकाकर्ता अभिराम के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपनी दलील रखीं. अगले कुछ दिनों में जिन सवालों पर सुप्रीम कोर्ट गौर कर सकता है, उनमें से कुछ ये हैं-
1. कया एक उम्मीदवार अपने धर्म के नाम पर वोट मांग सकता है?
2. क्या कोई और शख्स किसी विशेष उम्मीदवार के लिए उसके धर्म के नाम पर वोट मांग सकता है?
3. क्या कोई उम्मीदवार दूसरे धर्म के लोगों से अपने लिए वोट मांग सकता है, इस वादे के साथ कि वो उस धर्म/समुदाय के लोगों को मदद करेगा?
4. क्या कोई और शख्स विशेष समुदाय से अपील कर सकता है या कह सकता है कि वो उस उम्मीदवार के लिए वोट करें जो दूसरे समुदाय या धर्म से नाता रखता है?

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