
संशोधित एनिमी प्रॉपर्टी यानी शत्रु संपत्ति कानून पर पांचवी बार केंद्र सरकार अध्यादेश लाई है, जिसके खिलाफ दायर एक जनहित याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सुनने से मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने टिपण्णी करते हुए कहा की ये मामला आंतरिक सुरक्षा से जुड़ा है और बेहद संवेदनशील मुद्दा है, इसलिए वो इस मामले में कोई दखल नहीं देगा. बेहतर होगा की इस मामले पर संसद में ही चर्चा हो और कोई फैसला लिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सभा सांसद हुसैन दलवाई ने याचिका दायर कर इस अध्यादेश को चुनौती दी थी.
एनिमी प्रॉपर्टी (अमेंडमेंट एंड वेलिडेशन) एक्ट 1968 और Public Premises (Eviction of Unauthorised Occupants Act) 1971 में सरकार ने संशोधन कर नया कानून बना दिया है. लोकसभा में तो ये पास हो गया है, लेकिन राज्य सभा में अभी तक ये बिल लंबित है. इसीलिए सरकार एनिमी प्रॉपर्टी (अमेंडमेंट एंड वेलिडेशन) अध्यादेश 2016 लाई, जिस पर राष्ट्रपति ने 7 जनवरी 2016 को मुहर लगा दी थी. इसके बाद से सरकार 4 और बार इस अध्यादेश को ला चुकी है.
22 दिसंबर 2016 को सरकार पांचवी बार अध्यादेश लाई और याचिकाकर्ता हुसैन दलवाई ने अपनी याचिका में कहा था की सरकार क्यों इस मामले में बिना वजह बताए जल्दबाजी में अध्यादेश लेकर आ रही है. आखिर ऐसी क्या जरूरत है. इस पर रोक लगनी चाहिए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कोई भी दखल देने से मना कर दिया.