
ग्राम न्यायालय का गठन नहीं करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फटकार लगाई है. कोर्ट ने जवाब नहीं देने पर जुर्माना भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई की और असम, चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा, ओडिशा, पंजाब, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को आदेश दिया है कि एक महीने में ग्राम न्यायालय का गठन और नोटिफाई करने का आदेश दिया है. संसद ने साल 2008 में कानून पारित किया था, जिसमें जमीनी स्तर पर ग्राम न्यायालय बनाने का प्रावधान था ताकि लोगों को जल्द न्याय मिल सके. यह कानून 2 अक्टूबर 2019 को अस्तित्व में आया था. लेकिन यह ठीक तरह से लागू नहीं हो पाया. सितंबर 2019 तक देश में कुल 209 ग्राम न्यायालय ही काम कर रहे हैं, जबकि लक्ष्य 5000 न्यायालय बनाने का था.
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वहीं निर्भया गैंगरेप मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्भया गैंगरेप केस के दोषी मुकेश सिंह की याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं कि प्रासंगिक दस्तावेज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष नहीं रखे गए थे. मुकेश ने अपनी दया याचिका खारिज करने के लिए खिलाफ अर्जी दाखिल की थी.
इससे पहले दोषी मुकेश की वकील अंजना प्रकाश ने मंगलवार को कहा था कि कई दस्तावेज ऐसे हैं, जो राष्ट्रपति के सामने नहीं रखे गए, लिहाजा दया याचिका खारिज होने के खिलाफ शीर्ष अदालत को विचार करना चाहिए. वकील के जरिए मुकेश ने यह भी कहा था कि जेल में उसका यौन उत्पीड़न किया गया था और भाई राम सिंह की हत्या की गई थी.
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सुप्रीम कोर्ट बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हमने खुद को संतुष्ट करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजे गए सारे दस्तावेजों को देखा. गृह मंत्रालय ने सारे दस्तावेज भेजे थे. मुकेश की याचिका में कोई मेरिट नहीं है. जेल में प्रताड़ना दया के लिए कोई आधार नहीं है. इसके बाद मुकेश की याचिका को खारिज कर दिया गया.