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इन धार्मिक मान्यताओं के पीछे छिपे हैं वैज्ञानिक कारण

आप सालों से आप जिन बातों को आँख बंद करके मानते आ रहे हैं, क्या सचमुच वो अशुभ है या फिर कोई वैज्ञानिक कारण है.

क्या है वैज्ञानिक कारण क्या है वैज्ञानिक कारण
प्रज्ञा बाजपेयी
  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

हमारे देश में काफी सालों से कुछ मान्यताएं चली आ रही है और आज भी उनका पालन हो रहा है. आपके भी बड़े बुजुर्गों ने कई बार आपको टोका होगा. आपने भी ऐसी कई मान्यताओं को माना होगा जैसे बायीं आँख फड़के तो कुछ अशुभ होने वाला है. अंत्येष्टि से आकर नहाने की प्रथा. आज हम आपको बताएंगे कि आप सालों से आप जिन बातों को आँख बंद करके मानते आ रहे हैं, क्या सचमुच वो अशुभ है या फिर कोई वैज्ञानिक कारण है.

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हम मान लेते हैं क्यूंकि अगर हमारे बड़े कुछ कह रहे है तो सही ही होगा लेकिन उसके पीछे का सच क्या है हम जानने की कोशिश नहीं करते हैं. जो पुरानी मान्यताएं है, उनका पालन किया जाता है क्यूंकि उनके पीछे कुछ ख़ास वजह होती है लेकिन समय के साथ साथ लोगों ने इसे अन्धविश्वास का नाम दे दिया है और वैसे ही उसे मानने लगे हैं. लेकिन आज हम बात करेंगे की इन मान्यताओं के पीछे वैज्ञानिक कारण क्या है...

अकसर आपने सुना होगा की किसी की अंत्येष्टि में से आकर नहाना चाहिए. जी हाँ ये कहना बिलकुल सही है लेकिन अगर बात करें इसके पीछे के तथ्य की तो जब किसी की मृत्यु होती है तो बॉडी डिकंपोज होना शुरू हो जाती है. जब हम किसी के अंतिम संस्कार में शामिल होते हैं तो हमारा शरीर उस समय हवा में मौजूद कीटाणुओं, बैक्टीरिया और रसायनों के संपर्क में आ जाता है.

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ऐसी भी मान्यता है कि दूकान या घर मे नींबू मिर्ची टांगने से बुरी नज़र नहीं लगती या नकारात्मक ऊर्जा नहीं आती नींबू और मिर्ची में विटामिन सी और एसिड्स होते है जो एक तरह के पेस्टिसाइड्स  का काम करता है.

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आंख फड़कने को कभी मौसम के बदलाव से जोड़ा जाता है तो कभी अंधविश्वास से. आमतौर पर आंख फड़कने की प्रक्रिया हर किसी के साथ होती है और कुछ मामलों में यह बार-बार या लंबे समय तक जारी रहती है. आंख फड़कना प्रोटेक्शन का एक तरीका है. कई बार इसके साथ दूसरी समस्याएं जैसे दर्द, चुभन या जलन, असहजता भी हो सकती हैं.

हमारे देश में शादीशुदा महिलाएं बिछुए पहनती हैं. पैर की दूसरी उंगली में चांदी के बिछुए पहने जाते हैं और उसकी नर्व का कनेक्शन यूटेरस से होता है.  बिछुआ पहनने से यूटेरस तक पहुंचने वाला ब्लड सर्कुलेशन  सही बना रहता है. इसे यूटेरस ठीक रहता  है और मासिक चक्र भी सामान्य रहता है.

हिंदू मान्यता के हिसाब से मंदिर में प्रवेश करते वक्त घंटी बजाना शुभ होता है. इससे बुरी शक्त‍ियां दूर भागती हैं. घंटे की ध्वनि हमारे दिमाग में विपरीत तरंगों को दूर करती हैं और इससे पूजा के लिय एकाग्रता बनती है. घंटे की आवाज़ 7 सेकेंड तक हमारे दिमाग में ईको करती है. और इससे हमारे शरीर के सात उपचारात्मक केंद्र खुल जाते हैं. हमारे दिमाग से नकारात्मक विचार निकल जाते  है.

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माथे पर बिंदी या कुमकुम लगाना भी हमारी  मान्यताओं में से एक है. आंखों के बीच में माथे तक एक नर्व जाती है. कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है. माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा  को खून सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है. इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह ब्लड पहुंचता है.

दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है, तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे, भूत प्रेत का साया आ जायेगा. इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें. जब हम उत्तर की तरफ  सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड की सीध में आ जाता है. शरीर में मौजूद आयरन दिमाग की तरफ  संचारित होने लगता है. इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है. यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है.

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