
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई मॉनिटरिंग कमेटी की सीलिंग ड्राइव से जहां व्यापारी परेशान हैं तो वही नेताओं को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कोई नहीं जाना चाहता और कारोबारियों के साथ खुद को खड़ा दिखाने की भी मजबूरी है.
मॉनिटरिंग कमेटी ने दक्षिणी दिल्ली में भी सीलिंग ड्राइव चलाया, जहां 40 से ज्यादा प्रॉपर्टी को सील कर दिया गया. दरअसल सीलिंग सिर्फ उन प्रॉपर्टी की जा रही है जो बेसमेंट में हैं या फिर पहली और दूसरी फ्लोर पर हैं.
व्यपारियों का आरोप है कि जिस बसेमेंट का वो कमर्शियल इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं उसको भी सील किया जा रहा है. कुछ व्यापारियों ने बताया कि उन्होंने कन्वर्जन चार्ज जमा करा दिया है, बावजूद इसके सीलिंग जारी है. एक तरफ जहां नोटबंदी और जीएसटी ने कारोबारियों की कमर तोड़ रखी है तो अब सीलिंग से इनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं.
कारोबारियों की शिकायत है कि जिस प्रॉपर्टी को 2014 में खरीदा है उसपर 10 साल पहले का भी कन्वर्जन चार्ज मांगा जा रहा है, जब दुकान 2014 में ली गई तो 10 साल का कन्वर्जन क्यों दिए जाए. कारोबारियों की परेशानी इस बात से और बढ़ गई है कि सुप्रीम आदेश के सामने उनकी सुनने वाला कोई नहीं है.
आदेश के खिलाफ कोई नेता बोलना नहीं चाहता और निगम पार्षद, विधायक से लेकर सांसद तक इस मामले में कारोबारियों के साथ तो हैं लेकिन इसके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं. दिल्ली में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और विपक्ष में बैठीं बीजेपी-कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप तो लगा रही हैं लेकिन इसका उपाय क्या है ये किसी की समझ से बाहर है.
वही मॉनिटरिंग कमेटी ने साफ किया है कि 26 जनवरी के बाद सीलिंग की कार्रवाई में और तेजी लाएंगे क्योंकि सुरक्षा कारणों से पुलिस की उपलब्धता कम है लेकिन उसके बावजूद कुछ इलाकों में सीलिंग की कार्रवाई जारी है.