
निवेशकों की सुरक्षा के लिए मार्केट रेग्युलेटर SEBI एक खास पहल करने जा रही है. इसके तहत कंपनियों में इनसाइडर ट्रेडिंग के बारे में जानकारी देने वाले लोगों को 1 करोड़ रुपये तक का पुरस्कार मिल सकता है. गोपनीय जानकारी देने के लिए एक अलग हॉटलाइन भी रखी जायेगी. जांच में सहयोग करने पर मामूली गलतियों के लिए माफी अथवा निपटान समझौता भी किया जा सकेगा.
यहां बता दें कि जब कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़ा कोई व्यक्ति अंदरूनी जानकारी के आधार पर शेयर खरीद या बेचकर गलत तरीके से मुनाफा कमाता है तो इसे इनसाइडर ट्रेडिंग या भेदिया कारोबार कहा जाता है. इससे कंपनी पर भरोसा करने वाले निवेशकों को नुकसान होता है. अब निवेशकों के इसी नुकसान को बचाने के लिए सेबी कंपनियों पर सख्ती बढ़ाने की तैयारी में है.
इस योजना पर भी हो रहा काम!
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर भी कड़ी निगरानी रखने की योजना पर काम हो रहा है. यही नहीं, नगर निगमों द्वारा धन संसाधन जुटाने के लिए जारी किये जाने वाले म्युनिसिपल या ‘मुनी बांड’ के मामले में भी नियमों को सरल बनाने पर भी फैसला हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो नगर निकायों की ही तरह काम करने वाले दूसरे उद्यम अथवा निकाय भी ‘मुनी बांड’जारी कर धन जुटा सकेंगे और उन्हें शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया जायेगा. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक सेबी निदेशक मंडल की बैठक में तमाम मुद्दों पर बात होगी और निर्णय लिया जायेगा.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों पर सख्ती क्यों?
दरअसल, कर्ज में डूबी इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (IL&FS) के मामले में रेटिंग एजेंसियों की भूमिका संदेह के घेरे में है. कुछ रेटिंग एजेंसियों पर आरोप है कि उन्होंने कंपनी के संभावित जोखिम के बारे में नहीं बताया और बढ़ा-चढ़ाकर रेटिंग दी. सेबी का अब रेटिंग एजेंसियों को लेकर अपने नियमों में संशोधन का प्रस्ताव है. इन एजेंसियों को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि वह किसी भी सूचीबद्ध अथवा गैर- सूचीबद्ध कंपनियों को रेटिंग देने से पहले उनके मौजूदा और भविष्य में लिये जाने वाले कर्ज के बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त करेगी.