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वर्ल्ड कप ट्रॉफी देने के लिए भिड़े थे श्रीनिवासन और मुस्तफा कमाल

आईसीसी वर्ल्ड कप में ऐसा शायद पहली बार हुआ होगा, जब आईसीसी के दो दिग्गज वर्ल्ड कप ट्रॉफी देने के मसले पर एक-दूसरे से भिड़ गए. आपको जानकर हैरानी होगी कि एन श्रीनिवासन और मुस्तफा कमाल के बीच वर्ल्ड कप विजेता को ट्रॉफी देने को लेकर काफी बहस हुई.

एन श्रीनिवासन और मुस्तफा कमाल एन श्रीनिवासन और मुस्तफा कमाल
aajtak.in
  • मेलबर्न,
  • 29 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

आईसीसी वर्ल्ड कप में ऐसा शायद पहली बार हुआ होगा, जब आईसीसी के दो वरिष्ठ अधिकारी वर्ल्ड कप ट्रॉफी देने के मसले पर एक-दूसरे से भिड़ गए. आपको जानकर हैरानी होगी कि एन श्रीनिवासन और मुस्तफा कमाल के बीच वर्ल्ड कप विजेता को ट्रॉफी देने को लेकर काफी बहस हुई. आखिरकार श्रीनिवासन की चली और ऑस्ट्रेलियाई टीम को ट्रॉफी देने का मौका उन्हें मिला.  फाइनल खत्म होने के बाद जब प्रेजेंटशन पार्टी आई तो मुस्तफा कमाल कहीं नजर ही नहीं आए.

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एन श्रीनिवासन आईसीसी के चेयरमैन हैं, जबकि मुस्तफा कमाल प्रेसिडेंट. बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके श्रीनिवासन विजेता को ट्रॉफी देना चाहते थे और बांग्लादेश के कमाल भी अपनी जिद पर अड़े हुए थे. दोनों के बीच बहस होने पर कमाल ने कहा कि इसलिए वो इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल को इंडियन क्रिकेट काउंसिल कहते हैं. सूत्रों का कहना है कि दोनों के बीच बहुत गरमा-गरम बहस हुई.

अंपायरों को निशाना बना चुके हैं कमाल
मुस्तफा कमाल ने भारत-बांग्लादेश क्वार्टर फाइनल मुकाबले के बाद अंपायरों के खि‍लाफ मोर्चा खोलकर काफी बवाल मचाया था. 'हेडलाइंस टुडे' से एक्सक्लूसिव बातचीत में मुस्तफा कमाल ने कहा था कि भारत-बांग्लादेश मैच में अंपायरिंग का स्तर बहुत खराब था. इस मैच में कई फैसले बांग्लादेश के खिलाफ गए. अगर अंपायरों ने जानबूझकर ऐसा किया तो यह क्रिकेट के खिलाफ जुर्म है. मुस्तफा कमाल का मानना था कि रोहित शर्मा आउट थे पर अंपायर ने उस गेंद को नो बॉल करार दिया था.

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आईसीसी ने की थी कमाल की आलोचना
आईसीसी ने अपने प्रेसिडेंट मुस्तफा कमाल के इस बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था. आईसीसी ने उनके बयान को निजी बताते हुए कहा था कि उन्हें आईसीसी की आलोचना से पहले सोचना चाहिए था. अपने ही प्रेसिडेंट के बयान की निंदा करते हुए आईसीसी के सीईओ डेव रिचर्ड्सन ने कहा था, 'आईसीसी ने मुस्तफा कमाल के बयान का संज्ञान लिया है. ये बयान निजी तौर पर दिए गए थे. आईसीसी प्रेसिडेंट होने के नाते उन्हें आईसीसी के ही अधिकारियों की की निष्ठा पर सवाल उठाने से पहले सोचना चाहिए था.'

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