
महाराष्ट्र के लेखक डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच में लगी सीबीआई के सामने रोज केस से जुड़े खुलासे हो रहे हैं. दाभोलकर पर गोली चलाने वाले शूटर्स को महाराष्ट्र के दो पुलिस अधिकारियों ने ट्रेनिंग दी थी. करीब एक हफ्ते की ये ट्रेनिंग गोवा में सनातन संस्था के हेडक्वार्टर के पास और सांगली में दी गई थी.
गोवा ब्लास्ट के आरोपियों ने मारी थी गोली
इस मामले में ये भी खुलासा हुआ है कि डॉ. दाभोलकर पर गोली चालाने वाले कोई और नहीं गोवा ब्लास्ट के आरोपी सारंग अकोलकर और रूद्र पाटिल थे. बता दें, अगस्त 2012 में पुणे में नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी गई थी. जब वो मार्निंग वॉक पर जा रहे थे.
सनातन संस्था ने की पॉली ग्राफी टेस्ट की मांग
हालांकि, सनातन संस्था ये बिल्कुल मानने के लिए तैयार नहीं है कि उसके साधकों वीरेंद्र तावड़े और सांरग अकोलकर का इस हत्याकांड में हाथ है. उल्टे सनातन संस्था की मांग है कि इस केस के सरकारी गवाह का पॉली ग्राफी और नार्को टेस्ट करवाया जाना चाहिए.
सारंग से मिला दाभोलकर का स्कैच
दाभोलकर के शूटर का स्कैच सांरग अकोलकर से मिला है. सारंग अकोलकर सनातन संस्था का साधक है. गोवा ब्लासट में भी अकोलकर की तलाश है. वह 2009 से फरार है. सीबीआई का ये भी कहना है कि आरोपी डॉ. वीरेंद्र तावड़े जांच में सहयोग नहीं कर रहा है. इसलिए नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ जैसे फोरेंसिक टेस्ट से सीबीआई को कुछ मदद मिल सकती है. तावड़े की पत्नी से भी सीबीआई पूछताछ कर सकती है, जो कुछ ही दिनों में लंदन से भारत लौटने वाली है.
हिस्ट्रीशीटर है संजय सांदवलकर
हालांकि, सनातन संस्था ने शुक्रवार को मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि इस केस का मुख्य गवाह संजय सांदवलकर एक हिस्ट्रीशीटर है. उसके बड़े नेताओं से संबंध हैं. इसलिए वो कानून के शिंकजे में आने से बच गया और तावड़े को फंसाने की कोशिश कर रहा है.
सांदवलकर ने किए अहम खुलासे
संजय सांदवलकर वही सरकारी गवाह है जिसकी मदद से सीबीआई तावड़े तक पहुंची. सांदवलकर ने आजतक को बताया कि वो 2001 में पहली बार डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े से मिला था. वो खुद भी दक्षिणपंथी विचारधारा का है, इसलिए तावड़े से उसकी दोस्ती हो गई. दोनों ने 2004 में कोल्हापुर में दाभोलकर के एक भाषण में रुकावट भी डाली थी, लेकिन 2008 के बाद तावड़े से उसकी मुलाकात नहीं हुई.
दुकान में होती थी मीटिंग
इस गवाह का ये भी कहना है तावड़े उसके दो लोगों के साथ उसके दुकान में आता था और दुकान में ही मीटिंग होती थी. एक बार तो तावड़े ने इस गवाह को देसी रिवॉल्वर दिखाकर उसकी हूबहू दूसरी रिवॉल्वर बनाने का काम दिया था. खुद एक कट्टरपंथी होने के बावजूद इस गवाह का कहना है के वो हिंसा का समर्थन नहीं करता. इसलिए उसने वो काम नहीं किया.
सांदवलकर के मुताबिक, उसने कोल्हापुर पुलिस और एटीएस को वीरेंद्र तावड़े की गतिविधियों के बारे में दाभोलकर हत्या के पहले से कई बार बताना चाहा, लेकिन किसी ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया.