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नरेंद्र मोदी और मनोहर लाल खट्टर, सात समान बातें

हरियाणा के नए मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास दोस्त मनोहर लाल खट्टर और मोदी में कई समानताएं हैं.

Manohar Lal Khattar With Narendra Modi Manohar Lal Khattar With Narendra Modi
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 21 अक्टूबर 2014,
  • अपडेटेड 10:24 PM IST

मनोहर लाल खट्टर को हरियाणा में बीजेपी विधायक दल का नेता चुना गया है. वह हरियाणा के अगले मुख्यमंत्री होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मनोहर लाल खट्टर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास दोस्त हैं और दोनों के बीच कई कई समानताएं हैं.

1. नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री बनने से पहले कोई प्रशासनिक या विधायी अनुभव नहीं रखते थे. वह मुख्यमंत्री नियुक्त हुए और उसके बाद राजकोट वेस्ट से विधायक बने. उसी तरह मनोहर लाल खट्टर पहली बार करनाल से विधानसभा का चुनाव लड़े, विधायक बने और अब मुख्यमंत्री बन रहे हैं.

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2. नरेंद्र मोदी ने अपने सार्वजनिक जीवन की शुरुआत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से की. लंबे समय तक उसके प्रचारक भी रहे. इसी तरह मनोहर लाल खट्टर भी संघ के प्रचारक रहे. उन्होंने 1977 में 24 साल की उम्र में संघ ज्वाइन किया और 1980 में पूर्णकालिक प्रचारक बन गए.

पढ़ें: खट्टर के सामने होंगी ये 6 सबसे बड़ी चुनौतियां

3. नरेंद्र मोदी और मनोहर लाल खट्टर, दोनों ही वैवाहिक दृष्टि से कमोबेश एक ही पाले में हैं. नरेंद्र मोदी ने विवाह तो किया, मगर कभी वैवाहिक जीवन नहीं जिया. वहीं मनोहर लाल ने संघ के कार्य को केंद्र में रखते हुए विवाह ही नहीं किया.

4. नरेंद्र मोदी के संघ में प्रभावी कार्य को देखते हुए बीजेपी में उन्हें स्थानांतरित किया गया था. उसी तरह मनोहर लाल खट्टर को 14 साल संघ के विस्तार कार्य के बाद 1994 में बीजेपी संगठन में पहली जिम्मेदारी सौंपी गई.

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5. मनोहर लाल खट्टर के पिता हरबंस लाल खट्टर दुकानदार थे. नरेंद्र मोदी के पिता दामोदर दास मोदी भी चाय की दुकान चलाते थे.

6. नरेंद्र मोदी बीजेपी के शुरुआती दौर में इसके संगठन मंत्री रहे. मनोहर लाल खट्टर भी 2000 से 2004 तक हरियाणा में बीजेपी के संगठन सचिव रहे.

7. नरेंद्र मोदी जब मुख्यमंत्री बनाए गए, तब उन्हें स्थानीय गुजरात इकाई के नेता ज्यादा पसंद नहीं करते थे. उन्हें आलाकमान (पढ़ें आडवाणी) के आशीर्वाद से तख्त मिला. मनोहर लाल खट्टर को भी हरियाणा के दूसरे नेता गैरप्रभावी, कम संख्या वाले पंजाबी समुदाय का और करनाल के लिए भी बाहरी बता रहे हैं. मगर आलाकमान (पढ़ें शाह और मोदी) के आशीर्वाद से तमाम कद्दावर दावेदार मसलन, कृष्णपाल गुर्जर, रामविलास शर्मा वगैरह अलग-थलग पड़ गए.

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