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अल्लाह के कलाम में बहुत बरकत है, बड़ी से बड़ी परेशानी दिल से कुरान को दोहरा के दूर हो सकती है...कहती हैं हिना अहमद जो शाहीन बाग में धरनास्थल पर बैठकर कुरान पढ़ रही हैं. अधखुली आंखों में अल्लाह का ख्याल है और हाथ इबादत में उठे हुए हैं. उन्हें उनका ईमान हौसला देता है कि जैसे दिल्ली की सर्दियां कट गईं, कोरोना के खौफ का दौर भी टल जाएगा.
शाहीन बाग की हिना उन तमाम महिलाओं में से एक हैं जो धरनास्थल पर पिछले कुछ महीनों से डटी हुई हैं कि सरकार सीएए जैसे कानून को वापस लेने की उनकी मांग को मान ले. हालांकि, पिछले महीनों से आज की कहानी काफी बदल चुकी है. पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस के खौफ से रूबरू है. हज़ारों की तादाद में चीन, इटली, ईरान समेत दुनियाभर के कई देशों में लोग इस वायरस के प्रकोप से मर चुके हैं.
कोरोना अब भारत में भी पैर पसार चुका है. यहां भी हर रोज इस वायरस से संक्रमित लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है. केंद्र से लेकर राज्य सरकारें तक सब हाई अलर्ट पर हैं. लोगों में भय है. कई सार्वजनिक कार्यक्रम, संस्थान, आयोजन टाल दिए गए हैं. सरकारें लगातार लोगों को समझा रही हैं कि एकसाथ इकट्ठा होने से बचें ताकि उन्हें संक्रमित होने से बचाया जा सके. ऐसे में शाहीन बाग के धरने का जारी रहना एक बड़ा सवाल और एक ज़रूरी चिंता बन चुका है.
लेकिन कोरोना का कहर भी इन महिलाओं के हौसले पस्त नहीं कर पा रहा और यह बहुत चिंता की बात है. धरने पर जमी महिलाओं का कहना है कि जब वे ठंड और बारिश से भी नहीं घबराए तो अब कोरोना या किसी भी बीमारी का उन्हें कोई खौफ नहीं है.
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सीएए-एनआरसी के खिलाफ 3 महीने से जारी प्रदर्शन में शामिल महिला शगुफ्ता ने कहा कि उन्हें कोरोना से कोई डर नहीं है. प्रदर्शनस्थल पर काफी सावधानी बरती जा रही है, वह मास्क लगाकर पूरे दिन धरना प्रदर्शन पर बैठती हैं. वहीं प्रदर्शनकारी महिलाओं के साथ खड़े आसिफ ने बताया कि उन्होंने कोरोना वायरस से बचाव के लिए प्रदर्शनस्थल पर मौजूद महिलाओं और अन्य लोगों को मास्क बांटे हैं. उन्होंने बताया कि हाल ही में प्रदर्शनस्थल पर एक हजार मास्क वितरित किए गए.
कोरोना का खौफ
भारत में कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद शुक्रवार शाम तक बढ़कर 81 पहुंच गई. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में स्कूल-कॉलेज 31 मार्च तक बंद कर दिए हैं. आईपीएल मैच टाल दिए गए हैं. सरकार की ओर से एडवाइजरी जारी करके भीड़-भाड़ से दूर रहने की हिदायत दी गई है. इस बीच दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में पिछले तीन महीने से नागरिकता संशोधन कानून (CAA), नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रही महिलाओं में कोरोना वायरस को लेकर कोई डर नहीं है.
ऐसा नहीं है कि शाहीन बाग के लोग इस खौफ से बचे हैं. अभी तक कुछ ज़रूरी एहतियात देखने को मिली है. प्रदर्शनस्थल पर मौजूद लोगों को एक-दूसरे से हाथ ना मिलाने और खांसी बुखार होने पर प्रदर्शन में शामिल ना होने के लिए कहा जा रहा है. कोरोना वायरस के लक्षण और बचने के उपायों को लेकर प्रदर्शनस्थल पर जागरुकता फैलाई जा रही है. इसके साथ ही बच्चों को साथ ना लाने का आग्रह किया जा रहा है.
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लेकिन शाहीन बाग की औरतों के लिए सीएए और एनपीआर, कोरोना से बड़े सवाल हैं. प्रदर्शनकारी महिला मरियम ने कहा कि कोरोना वायरस हमारे लिए एनआरसी-एनपीआर से ज्यादा खतरनाक नहीं है. उन्होंने कहा कि हमें कोरोना से नहीं बल्कि संविधान के खिलाफ लिए गए सरकार के फैसले से ज्यादा डर है. उन्होंने कहा कि कोरोना के डर से हम अब मास्क लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं, प्रदर्शन में शामिल नाज़िया ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप से बचाव के लिए सरकार को शाहीन बाग में स्क्रीनिंग और जांच की व्यवस्था करनी चाहिए.
जारी है प्रदर्शन
गौरतलब है कि कोरोना वायरस का संक्रमण न फैले, इसके लिए दिल्ली सरकार ने भी सभी स्कूलों-कॉलेजों को बंद करने के आदेश जारी कर दिए हैं. इसके अलावा सिनेमाघरों, स्विमिंग पूल जैसे मनोरंजन के सामूहिक स्थानों पर भी लोगों के जुटने पर पाबंदी लगा दी गई है. दिल्ली सरकार ने तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक जगहों और आयोजनों के दौरान उमड़ने वाली भीड़ पर रोक लगा दी है. यह फैसला कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किया गया है.
इन सबके बीच शाहीन बाग में जुटे प्रदर्शनकारी हटने को तैयार नहीं हैं. उनका कहना है कि हम डरने वालों में से नहीं हैं. हालांकि कोरोना का असर प्रदर्शन पर दिखाई दे रहा है. अब धरनास्थल पर पहले की तरह भीड़ मौजूद नहीं है. क्या इसकी वजह कोरोना वायरस का डर है? यहां महिलाओं से जब प्रदर्शनकारियों की संख्या में कमी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया.
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वो कहती हैं कि प्रदर्शन में तादाद उतनी ही है जितनी पिछले महीनों में रही है. लेकिन आंखें झूठ नहीं बोलतीं. तादाद घटी है. पिछले दिनों दिल्ली की हिंसा का असर और फिर कोरोना का खौफ यहां पर लोगों की तादाद कम करने में सफल रहे हैं. हालांकि, कुछ ऐसे भी हैं जिनके हौसले अभी भी कायम हैं.
चिंता की बात यह है कि ये हौसला उनके लिए बहुत घातक हो सकता है और लोगों की भीड़ कोरोना संक्रमण के दौरान एक गंभीर चेतावनी जैसा है. इसपर प्रदर्शनकारियों और सरकार, दोनों को ध्यान देने की ज़रूरत है.