
कोरोना वायरस के खतरे और दिल्ली सरकार द्वारा दी गई सलाह के बावजूद शाहीन बाग में महिला प्रदर्शनकारी धरनास्थल पर डटी हुई हैं. प्रदर्शन स्थल पर मौजूद इन महिलाओं का कहना है कि उनके स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सरकार की है.
इस बीच, प्रदर्शन स्थल पर अब तख्त रख दिया गया है जिन पर दो सिर्फ दो महिलाओं को बैठन की अनुमति है. अधिकांश प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 50 से अधिक लोगों के एक साथ एकत्रित होने आदेश को मानने से इनकार कर दिया है.
प्रदर्शन में मौजूद सोफिया ने कहा, "हमें कोरोना वायरस और सीएए एवं एनआरसी दोनों से ही लड़ना है. इस लड़ाई में हमारे लिए कोरोना वायरस से ज्यादा खतरनाक एनआरसी और सीएए है. इसलिए सीएए के खिलाफ हमारी यह लड़ाई जारी रहेगी. बीमार होने के डर से हम अपने आंदोलन को छोड़कर घर नहीं बैठ सकते."
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प्रदर्शन में मौजूद रुखसत ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा, "दिल्ली सरकार ने दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर मोहल्ला क्लीनिक खोले हैं. सरकार को अगर हमारी इतनी ही चिंता है तो शाहीन बाग में भी धरनास्थल के पास एक मोहल्ला क्लीनिक खोल दे."
कोरोना वायरस को लेकर दी जा रही चेतावनी के बावजूद यहां शाहीन बाग में मंगलवार को सैकड़ों प्रदर्शनकारी बैठे रहे. इस दौरान उन्होंने जमकर नारेबाजी भी की. 54 वर्षीय नूरजहां ने कहा, "अगर सरकार को हमारी इतनी ही चिंता है तो क्यों नहीं कानून को वापस ले लेती है. अगर सीएए का कानून वापस हो जाए, तो हम आज ही इस सड़क को साफ करके अपने घरों को लौट जाएंगे, लेकिन कानून वापस न होने की शक्ल में हम यहां से नहीं हटेंगे, फिर बेशक हम लोगों को कोरोना वायरस का संक्रमण ही क्यों न हो जाए."
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प्रदर्शनकारी महिलाओं ने कहा, "हमें अपने आंदोलन के लिए सब कुर्बानियां मंजूर हैं. प्रदर्शन के दौरान हमने कई समस्याएं बर्दाश्त की हैं. हमने सर्दी सहन की, अब गर्मी आएगी, हम बर्दाश्त करेंगे. बारिश और सर्द रातों में भी हम यहां डटे रहें. कोरोना वायरस का खतरा भी हमें मंजूर है. तब तक यह लड़ाई मंजूर है, जब तक देश के हुक्मरान हमारी बात नहीं सुनते."
(IANS के इनपुट के साथ)