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मुकाबलों के मारे, शाहरुख खान बेचारे, चौथी बार मिलेगी अक्षय से चुनौती

तीन बार अक्षय कुमार को मुकाबलों में पस्त करने वाले शाहरुख खान की 'द रिंग' अक्षय की 'टॉयलेटः एक प्रेम कथा' के साथ इतिहास दोहरा पाएगी.

शाहरुख खान शाहरुख खान
नरेंद्र सैनी
  • नई दिल्ली,
  • 29 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 11:53 AM IST

तीन बार अक्षय कुमार को मुकाबलों में पस्त करने वाले शाहरुख खान की 'द रिंग' अक्षय की 'टॉयलेटः एक प्रेम कथा' के साथ इतिहास दोहरा पाएगी.

अब तो शाहरुख खान की फिल्म का नाम आते ही सबसे पहले जेहन में यही बात आती है कि शाहरुख बेचारे, मुकाबले के मारे. उनकी कुछ फिल्में दूसरे बड़े सितारों के साथ मुकाबले में फंसती आई हैं और जिसका सीधा असर उनकी फिल्मों की कमाई पर पड़ता है.

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यही वजह है कि वे कमाई की दौड़ में आमिर खान और सलमान खान जैसे दिग्गजों से पिछड़ते जा रहे हैं. जहां आमिर और सलमान खान की फिल्मों की कमाई 300 करोड़ रुपये के आंकड़े को छूने लगी है, वहीं शाहरुख खान की फिल्में 150 करोड़ रुपये  के लिए भी जूझती दिख रही हैं.

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शाहरुख के सफल मुकाबले
शाहरुख की नियति हमेशा से ऐसी नहीं रही है. वे पहले भी कई मुकाबलों में फंसे हैं और उन्होंने उसमें जीत हासिल की है. बात उन दिनों की है जब शाहरुख खान का सिक्का जोरों पर था, 16 अक्तूबर 1998 को उन्होंने दो सुपरस्टार अमिताभ बच्चन और गोविंदा की छोटे मियां बड़े मियां के साथ टक्कर ली और कुछ कुछ होता है फिल्म इतिहास की सर्वाधिक सफल फिल्मों में आज भी गिनी जाती है. 17 अक्तूबर, 2000 को वे रितिक रोशन से भिड़े, और उनकी मुहब्बतें का मुकाबला हृतिक की मिशन कश्मीर से हुआ, और इस बार भी बाजी शाहरुख के हाथ रही. हालांकि मिशन कश्मीर को भी अच्छे रिव्यू मिले.

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12 नवंबर 2004 को शाहरुख खान ने अक्षय कुमार की एेतराज से लोहा लेना का फैसला लिया और यश चोपड़ा की वीर जारा मुकाबले में थी. एतराज भी सफल रही लेकिन रोमांटिक शाहरुख सब के दिलों में उतर गए. 20 अक्तूबर, 2006 को उन्होंने अक्षय कुमार और सलमान खान की जोड़ी से अकेले ही टक्कर ली. इस बार वे 'डॉन' बनकर आए और सलमान-अक्षय की फिल्म 'जानेमन' कहीं मुकाबले में नहीं टिकी. 9 नवंबर 2007 को शाहरुख ने 'देवदास' जैसी सुपरहिट फिल्म देने वाले संजय लीला भंसाली और रणबीर कपूर की पहली फिल्म 'सांवरिया' से मुकाबला किया.

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शाहरुख की पुनर्जन्म की कहानी 'ओम शांति ओम' कीर्तिमान बनाने में कामयाब रही और 'सांवरिया' धूल चाटती नजर आई. उनका आखिरी सफल मुकाबला 'चेन्नई एक्सप्रेस' और 'वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई दोबारा' के साथ था. 9 अगस्त, 2013 में ये दोनों फिल्में रिलीज हुईं और इस बार भी अक्षय को उनके हाथों मुंह की खानी पड़ी.

वक्त-वक्त की बात है
कहते हैं समय बदलते देर नहीं लगती. शाहरुख खान की उम्र बढ़ी और वे रोमांटिक हीरो के खांचे में उस तरह फिट नहीं बैठने लगे जैसे पहले बैठते थे, और आमिर की शानदार फिल्मों और सलमान खान की रिकॉर्ड तोड़ आम आदमी टच फिल्मों के आगे वे कमजोर पड़ने लगे. इसका पहला खराब नतीजा 2012 में "जब तक है जान" का अजय देवगन की 'सन ऑफ सरदार' के साथ मुकाबले के दौरान मिला.  'सन ऑफ सरदार' ने जहां 103 करोड़ रुपये का कारोबार किया और काफी सराही गई वहीं 'जब तक है जान' सिर्फ 121 करोड़ रुपये का कारोबार कर सकी और फिल्म की कहानी को औसत बताया गया. हालांकि फिल्म ने सौ करोड़ रुपये का आंकड़ा छू लिया था. 2015 में वे 'बाजीराव मस्तानी' के साथ मुकाबले में उलझे.

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फिल्म की कमाई को लेकर बड़े-बड़े आंकड़े आए. भारत में 140 करोड़ रुपये और विदेशों में लगभग 100 करोड़ रु. कमाने की बात कही गई लेकिन फिल्म की कमजोर कहानी की हर जगह आलोचना हुई जबकि संजय लीला भंसाली की 'बाजीराव मस्तानी' ने बॉक्स ऑफिस के साथ ही जनता और आलोचकों का दिल जीतने में भी कामयाबी हासिल की. यही हाल उनकी फिल्म 'रईस' को लेकर हुआ. यह उनका रितिक के साथ दूसरी बार मुकाबला था. लेकिन इस बार फिर कमजोर कहानी की वजह से शाहरुख पहले जैसी कामयाबी का स्वाद नहीं चख सके. फिल्म ने औसत 139 करोड़ रुपये का कारोबार किया.

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चौथी बार होगी अक्षय-शाहरुख में टक्कर
शाहरुख खान इम्तियाज अली के साथ रोमांटिक फिल्म 'द रिंग' कर रहे हैं. जिसमें अनुष्का शर्मा भी हैं. लेकिन अब वे अक्षय कुमार के साथ मुकाबले में फंस गए हैं. ये चौथा मौका है जब वे अक्षय से भिड़ेंगे पहले पहली तीन बारी में वे विजेता रहे हैं. 11 अगस्त को अक्षय कुमार की 'टॉयलेट: एक प्रेम कथा' रिलीज हो रही है और इसी दिन 'द रिंग' भी रिलीज होनी है. अक्षय जहां आजकल विषय आधारित फिल्मों को करने पर जो दे रहे हैं, वहीं शाहरुख अपनी रोमांटिक छवि को कैश कराने की कोशिश करते नजर आएंगे. अक्षय की 'रुस्तम', 'जॉली एलएलबी' जैसी फिल्में अपने विषयों की वजह से बॉक्स ऑफिस पर तहलका मचाते आए हैं, देखना यह है कि शाहरुख अपनी रोमांटिक छवि पर सवार होकर कामयाबी हासिल कर पाते हैं क्योंकि अब समय और मुकाबला दोनों ही बदल चुके हैं.

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