
राजस्थान की राजधानी जयपुर में विश्व प्रसिद्ध 'जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल' शुरू हो गया है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने जयपुर पहुंचे, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उनके पास पिस्टल होने के संदेह के चलते उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया. एयरपोर्ट पर जांच-पड़ताल के दौरान शशि थरूर को करीब 35 मिनट तक वहीं रुकना पड़ा.
सीआईएसएफ के सूत्रों के मुताबिक शशि थरूर अपनी बहन का इंतजार कर रहे थे. किसी ने उनसे पूछा कि वो किस का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा- माय सिस्टर. लेकिन किसी को यही सिस्टर, पिस्टल सुनाई दिया और उसने इसकी शिकायत सुरक्षाकर्मियों से कर दी. एजेंसियां हरकत में आईं और थरूर से पूछताछ की गई. हालांकि तुरंत ही अहसास हो गया कि ये महज सुनने वाले की गलती की वजह से हुआ है. मामले को तुरंत ही खत्म कर थरूर को रवाना कर दिया गया.
शशि थरूर का भी कहना है कि उनके पास कोई पिस्टल नहीं है और न ही उन्होंने लाइसेंस के लिए कभी आवेदन किया है. उन्होंने ट्वीट किया कि न तो मेरे पास कोई पिस्टल थी और न ही मैं इसके लिए रोका गया. उन्होंने इस बाबत छपी खबर को पूरी तरह निराधार बताया.
गौरतलब है कि फिल्म पद्मावत को लेकर हो रहे विरोध के कारण जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल चर्चा में है. करणी सेना की धमकी के कारण मशहूर लेखक प्रसून जोशी भी इस फेस्टिवल में शामिल नहीं हो पाए. प्रसून जोशी के अलावा भी लेखक जावेद अख्तर भी कार्यक्रम में शामिल होने नहीं पहुंचे हैं. प्रसून जोशी का विरोध इसलिए है कि वो सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष हैं.
बता दें, करणी सेना ने धमकी दी थी कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में अगर जावेद अख्तर और प्रसून जोशी आते हैं तो उनका वही हाल करेंगे जो संजय लीला भंसाली का किया था.
जावेद अख्तर का विरोध क्यों?
दरअसल, जावेद अख्तर ने इस विवाद पर कहा था, ''राजपूत-रजवाड़े अंग्रेजों से तो कभी लड़े नहीं और अब सड़कों पर उतर रहे हैं. ये जो राणा लोग हैं, महाराजे हैं, ये 200 साल तक अंग्रेज के दरबार में खड़े रहे. तब उनकी राजपूती कहां थी? ये तो राजा ही इसीलिए हैं, क्योंकि इन्होंने अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार की थी.''
इसके साथ ही जावेद ने पद्मावती की कहानी को नकली बताया था. जावेद अख्तर ने साहित्य आजतक के सेशन में कहा था, ''मैं इतिहासकार तो हूं नहीं. मैं तो जो मान्य इतिहासकार हैं उनको पढ़कर आपको ये बात बता सकता हूं.' बता दें, 25 जनवरी से जयपुर में लिटरेचर फेस्टिवल हो रहा है, इसमें देश विदेश से सैकड़ों की संख्या में लोग शिरकत करेंगे.