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शांति निकेतन में मिलेंगे पीएम मोदी-शेख हसीना, रोहिंग्या और तीस्ता पर हो सकती है बात

बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना शेख हसीना 25 मई को भारत के दो दिवसीय 'अनौपचारिक' दौरे पर आ रही हैं. इस दौरान दोनों देशों के बीच रोहिंग्या, तीस्ता नदी संधि जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर बात हो सकती है.

पीएम मोदी और शेख हसीना (फाइल फोटो) पीएम मोदी और शेख हसीना (फाइल फोटो)
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2018,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना 25 मई को भारत के दो दिवसीय 'अनौपचारिक' दौरे पर आ रही हैं. वह शुक्रवार को शांति निकेतन के विश्व भारती यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी. इसमें शामिल होने के लिए पीएम मोदी भी जाएंगे. वैसे तो शेख हसीना का इस बार का दौरा सांस्कृतिक तरह का है, लेकिन दोनों नेताओं के बीच महत्वपूर्ण कूटनीतिक मसलों पर भी बातचीत हो सकती है.

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दोनों नेता यूनिवर्सिटी में बने बांग्लादेश भवन का भी उद्धाटन करेंगे. इस भवन के निर्माण के लिए हसीना सरकार ने धन लगाया है. इस दौरान दोनों देशों के बीच रोहिंग्या, तीस्ता नदी संधि जैसे महत्वपूर्ण मसलों पर बात हो सकती है. दोनों नेताओं के बीच पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन में बंग भवन में बातचीत होगी.

इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी भी शामिल होंगी. ममता बनर्जी की उपस्थ‍िति में ही दोनों नेताओं के बीच तीस्ता नदी जल साझेदारी समझौते पर बातचीत हो सकती है. बंगाल सरकार के सख्त रवैए की वजह से ही इस समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है.

इस दौरान दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच रोहिंग्या मसले पर भी बातचीत हो सकती है. हसीना सरकार ऑपरेशन इंसानियत की तर्ज पर भारत से कुछ और आर्थिक मदद हासिल करना चाहेगी, ताकि रोहिंग्या शरणार्थियों की म्यांमार वापसी को सफल बनाया जा सके. हाल में म्यांमार के दौरे से लौटीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी रोहिंग्या विस्थापितों के सुरक्षि‍त और जल्दी रखाइन वापसी पर जोर दिया है.

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एक और मसला है असम के नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन (NRC) का. ऐसा माना जा रहा है शेख हसीना भारत से यह आवश्वासन चाहती हैं कि किसी बांग्लादेशी शरणार्थी को उनके देश में जबरन वापस न भेजा जाय. हालांकि भारत के लिए यह बहुत ही संवेदनशील मसला है.

इसके अलावा विचार के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण मसला हो सकता है-प्रस्तावित भूटान, भारत और नेपाल (BBIN) ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर. इस तरह के कॉरिडोर बनने से भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से बांग्लादेश होते हुए संपर्क आसान हो जाएगा. इससे बांग्लादेश को भी फायदा यह होगा कि उसे भारत होते हुए नेपाल और भूटान तक पहुंच मिल जाएगी.

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