
राम मंदिर के मसले पर शिवसेना ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा. शिवसेना ने कहा कि उसे इस बात पर ताज्जुब है कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो कब होगा. अगर राम मंदिर का निर्माण 2019 चुनावों से पहले नहीं हुआ तो यह देश के लोगों को धोखा देने जैसा होगा, जिसके लिए भाजपा और आरएसएस को उनसे माफी मांगनी होगी.
शिवसेना ने पार्टी के मुखपत्र सामना के जरिए कहा, ''वह (मोदी) राम के नाम पर सत्ता में आए थे, हालांकि उनके मुताबिक भगवान राम कानून से बड़े नहीं हैं. अब सवाल यह है कि अगर बहुमत वाली सरकार में मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो कब बनेगा. मोदी सरकार ने गुजरात में सरदार वल्लभभाई पटेल की भव्य प्रतिमा बनाई है, लेकिन राम मंदिर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वाला साहस नहीं दिखाया. साथ ही कहा कि यह इतिहास के पन्नों में दर्ज होगा.''
बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने कहा कि राम मंदिर के लिए आंदोलन 1991-92 में शुरू हुआ था और सैकड़ों कारसेवकों ने अपनी जान गंवाई थी. इसमें पूछा गया, “किसने यह नरसंहार किया और क्यों? एक ओर सैकड़ो हिंदू कारसेवक मारे गए साथ ही मुंबई बम धमाकों में दोनों पक्ष (हिंदू एवं मुस्लिम समुदाय) के सैकड़ों लोग मारे गए. अगर फैसला उच्चतम न्यायालय को ही करना था तो यह नरसंहार और खूनखराबा क्यों?”
उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने आगे पूछा कि क्या भाजपा और आरएसएस इन हत्याओं एवं खूनखराबे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार है.
संपादकीय में कहा गया, “सिखों के नरसंहार (1984 के सिख विरोधी दंगों के बाद) के लिए जिस तरह से कांग्रेस को माफी मांगनी पड़ी उसी प्रकार हमें भी उन लोगों की भावनाओं को समझना होगा जो हिंदुओं के नरसंहार के लिए (भाजपा से) माफी की मांग करते हैं.''