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दो बच्चों वाले परिवार को मिले टैक्स में छूट, शिवसेना सांसद ने राज्यसभा में पेश किया बिल

शिवसेना के राज्यसभा सांसद अनिल देसाई ने संसद में एक प्राइवेट बिल पेश किया है, जिसमें परिवार को दो बच्चों तक सीमित रखने की अपील की गई है. जनसंख्या नियंत्रण वाले इस बिल पर बजट सत्र में ही चर्चा होगी.

शिवसेना सांसद ने पेश किया है बिल (फोटो: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे) शिवसेना सांसद ने पेश किया है बिल (फोटो: शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 10:52 AM IST

  • जनसंख्या नियंत्रण को लेकर संसद में बिल
  • शिवसेना सांसद ने राज्यसभा में पेश किया बिल
  • परिवार को दो बच्चों तक सीमित रखने वालों को रियायत

देश की बढ़ती जनसंख्या लगातार चुनौती बनती जा रही है. इसी चुनौती को देखते हुए शिवसेना के राज्यसभा सांसद अनिल देसाई एक प्राइवेट बिल लेकर आए हैं, जिसमें देश में सिर्फ दो बच्चों की नीति को प्रोत्साहित करने की अपील की गई है. इसके लिए संविधान में संशोधन करने की बात कही गई है. अनिल देसाई के इस बिल पर बजट सत्र के दौरान ही चर्चा होगी.

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जनसंख्या नियंत्रण को लेकर ठोस फैसले के लिए लंबे समय से अपील होती रही है. हालांकि, सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. संसद में कोई भी सांसद अपनी ओर से एक प्राइवेट बिल लाया जा सकता है जो कि शुक्रवार को पेश किया जाता है. बता दें कि बजट सत्र में अभी ब्रेक चल रहा है, लेकिन जब सत्र का दूसरा हिस्सा शुरू होगा तब इसपर चर्चा की जा सकती है.

बजट सत्र के पहले हिस्से के आखिरी दिन अनिल देसाई ने इस बिल को पेश किया. हालांकि, इस तरह के प्रस्ताव पहले भी आते रहे हैं लेकिन कई राजनीतिक दलों और संगठनों के द्वारा इस तरह के कानून को मुस्लिम विरोधी माना गया है.

एक अंग्रेजी अखबार को अनिल देसाई ने बताया है कि इस बिल के लिए उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे से भी बात की. ऐसे में महाराष्ट्र की सरकार में शिवसेना के साथी कांग्रेस और एनसीपी की इसपर प्रतिक्रिया रहती है, इसपर भी नज़र बनी रहेगी.

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अनिल देसाई ने इस बिल को पेश करते हुए संविधान में कुछ संशोधन की मांग रखी है. जिसमें संविधान के अनुच्छेद 47 में बदलाव जरूरी होगा.

बिल में प्रस्ताव रखा गया है कि बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए परिवार को दो बच्चों तक सीमित रखने वाले नागरिकों को टैक्स में छूट, कारोबार, शिक्षा में प्रोत्साहन जैसे नियम बनाए जाएं. मानदंडों का पालन ना करने वालों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. भारत की जनसंख्या अभी भी 130 करोड़ के पार है जो कि दुनिया में नंबर दो है.

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