
शिवसेना ने सरसंघचालक मोहन भागवत के हिंदू राष्ट्र वाले बयान का समर्थन किया है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपनी पार्टी के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में लिखा कि मोहन भागवत का बयान बिल्कुल सही है. हां, हम हिंदू राष्ट्र हैं.
हालांकि, शिवसेना ने यह भी कहा कि केंद्र में जबसे मोदी सरकार बनी है तब से हिंदुत्व के समर्थन में लोग खुलकर सामने आ रहे हैं. पर सच्चाई यह है कि जब केंद्र में कांग्रेस सरकार छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर मुस्लिम तुष्टीकरण कर रही थी तब भी शिवसेना आवाज उठाती थी. वीडी सावरकर से लेकर बाल ठाकरे बार-बार यही कहते रहे कि भारत शत-प्रतिशत हिंदू राष्ट्र है.
मोहन भागवत का समर्थन
उद्धव ठाकरे ने कहा, 'मोहन भागवत ने हिंदुत्व को पुकारा है. उन्होंने विचार व्यक्त किया है कि हम हिंदू राष्ट्र हैं. इस बयान के चलते संघसरचालक को हिटलर तक कहने की होड़ लग गई है, इसमें भी कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है. जिस देश का कलश छद्म धर्मनिरपेक्षता की जर्जर नींव पर खड़ा हो और जहां मुस्लिम तुष्टीकरण ही राजनीतिक रोजी-रोटी का उद्योग बन गया हो, वहां दूसरा क्या हो सकता है?'
हमनें पहले ही कहा कि भारत हिंदू राष्ट्र है
लेख में आगे लिखा गया है, 'मोदी जब से देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं तब से हिंदुत्ववादी विचारों के कंठ फूट गए हैं, यह कहना सच है पर देश में जब कांग्रेस की सरकार थी और जब मुस्लिम वोट बैंक के लिए हिंदू समाज का गला दबाया जा रहा था, तब भी पहले वीडी सावरकर और फिर शिवेसना प्रमुख ने बारंबार ताल ठोंककर कहा कि हां, हम शत-प्रतिशत हिंदू राष्ट्र है और इस देश के भाल पर चमकने वाले हिंदुत्व के टीके को कोई पोंछ नहीं सकता. शिवसेना प्रमुख ने तो हिंदुत्व का ऐसा प्रखर अंगार प्रकट किया कि उसके बड़नवाल में कांग्रेस व उनके बगलबच्चों का धर्मनिरपेक्षता का ढोंग खाक हो गया.'
हिंदुत्व विचारों के चलते पीएम बने मोदी
उन्होंने कहा, 'मोदी प्रधानमंत्री बने तो अपने प्रखर हिंदुत्व विचारों के चलते. इस देश के समस्त हिंदू समाज ने जाति, पंथ बिसारकर सिर्फ हिंदू होने के चलते शिवसेना-बीजेपी के पक्ष में जमकर मतदान किया. कांग्रेस की मुस्लिम चाटुकारिता के हैरान हिंदू समाज ने तब छद्म धर्मनिरपेक्षता को सुपुर्द-ए-खाक किया. समग्र उत्तरी प्रांतों दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार में एक भी मुस्लिम सांसद चुनाव नहीं जीत सका.'