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महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मामले में शिवसेना ने कोर्ट के आदेश पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने कहा कि शनि मंदिर में महिलाओं को जाने की इजाजत दे दी गई है तो क्या ये फैसला मुस्लिमों पर भी लागू होगा.
पार्टी के मुखपत्र सामना में छपे संपादकीय में कहा गया है कि जिस तरह मंदिर में महिलाओं के प्रवेश का आदेश जारी किया गया है क्या उसके बाद महिलाओं को मस्जिदों में भी प्रवेश दिया जाएगा? कोर्ट ने हमेशा की तरह राजकर्ता के हाथ में निर्णय देकर माहौल को गरमाने में मदद की है.
'कोर्ट को श्रद्धा की धज्जियां नहीं उड़ानी चाहिए'
शिवसेना ने कहा, 'शनि मंदिर की श्रद्धा के विषय को आपसी सहमति से हल करना चाहिए था और श्रद्धा का निर्णय अदालतों को नहीं करना चाहिए. ये ठीक वैसा ही है, जैसे साईं बाबा का धर्म कौन सा था, इसका फैसला कोर्ट नहीं कर सकता.' पार्टी ने कहा कि जिस तरह श्रद्धा के विषय में जिस तरह राजनीति नहीं होनी चाहिए उसी तरह अदालत को हमारी श्रद्धा की धज्जियां नहीं उड़ानी चाहिए. न्याय मंदिर में न्याय मिलता है, लेकिन अब धार्मिक तनाव भी मिलने लगा है.
ये मामला भी है कोर्ट में
सामना में शिवसेना ने सवाल उठाया कि क्या कोर्ट महिलाओं को दरगाहों और मस्जिदों में प्रवेश की अनुमति देगा? क्या महिलाएं इन जगहों पर जा सकेंगी. शिवसेना ने हाजी अली की दरगाह का उदाहरण भी दिया जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है. ये मामला भी कोर्ट में है.